सड़क पर पैदल चलने का नियम बदल जाएगा? राइट-लेफ्ट साइड का मामला क्या है
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका में सड़क पर पैदल चलने वालों के लिए नियम बदलने की मांग की गई है। मांग है कि बाईं की बजाय दाईं ओर चलने का नियम बनाया जाए।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
सड़क पर पैदल चल रहे हैं तो किस तरफ चलें? नियम कहता है कि बाईं ओर। पर अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें मांग की गई है कि इसे बदला जाए और दाईं ओर चलने का नियम बनाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर केंद्र सरकार और नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है।
यह सारा मामला जबलपुर के रहने वाले ज्ञान प्रकाश की याचिका से जुड़ा है। ज्ञान प्रकाश लंबे समय से सड़क सुरक्षा को लेकर काम कर रहे हैं। सड़क सुरक्षा पर उन्होंने एक किताब भी लिखी है।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दाईं तरफ पैदल चलने का नियम बनाने की मांग की है। मामले की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच कर रही है। बेंच ने केंद्र सरकार और NHAI को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों में जवाब मांगा है। इस मामले में अब 10 नवंबर को सुनवाई होगी।
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... ऐसी मांग क्यों?
ज्ञान प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट में लेफ्ट की बजाय राइट साइड पैदल चलने की मांग की है। उनका तर्क है कि बाईं तरफ पैदल चलने से सामने से आ रही गाड़ी नहीं दिखती है, जिस कारण दुर्घटनाएं होती हैं।
उन्होंने इसे लेकर कुछ आंकड़े भी दिए थे। उन्होंने अपनी याचिका में 2022 के आंकड़े पेश किए थे। उन्होंने बताया था कि सड़क दुर्घटनाओं में 50 हजार मौतें हुई थीं, जिनमें से 18 हजार पैदल यात्री थे। इस तरह से सड़क हादसों में जितनी मौतें हुई थीं, उनमें से 36% पैदल यात्री थे।
उन्होंने अपनी याचिका में यह भी तर्क दिया है कि भारत का मोटर व्हीकल ऐक्ट 1968 में विएना में हुए सड़क परिवहन पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते और ब्रिटिश काल से प्रेरित है। उनका दावा है कि अगर दाईं ओर चला जाए तो सामने से आ रही गाड़ियों को आसानी से देखा जा सकता है।
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पर क्या ऐसा सच में होता है?
आंकड़े तो यही गवाही देते हैं कि हर साल सड़क हादसों में मरने वालों में टू-व्हीलर सवारों के बाद सबसे ज्यादा मौतें पैदल यात्रियों की ही होती है।
हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट आई है। इसमें सामने आया है कि 2023 में सड़क हादसों में जितनी मौतें हुईं, उनमें 45.8% टू-व्हीलर सवार और 15.9% पैदल चलने वाले लोग थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में 4.47 लाख सड़क हादसे हुए थे। इनमें 1.73 लाख लोगों की मौत हुई थी। इनमें 1.39 लाख मौतें उनकी हुई थी, जो कार-बाइक-रिक्शा या कोई भी मोटर व्हीकल चला रहे थे। बाकी 34,761 लोग या तो साइकिल-बैलगाड़ी या ठेला चला रहे थे या फिर पैदल चल रहे थे। पैदल चलने वाले 27,586 लोग थे, जो 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए।
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लेकिन बाईं तरफ क्यों चलते हैं भारतीय?
ब्रिटेन में सदियों से पैदल यात्री और गाड़ियों के लेफ्ट साइड पर ही चलने का नियम है। यहीं से यह नियम भारत में भी आया। भारत में मोटर व्हीकल ऐक्ट जरूर है लेकिन लेफ्ट साइड ही चलने का कोई लिखित नियम नहीं है। हालांकि, भारत में गाड़ियां और पैदल यात्रियों को लेफ्ट साइड ही चलने को कहा जाता है।
हालांकि, ब्रिटेन के हाइवे कोड में यह भी लिखा है कि अगर कोई फुटपाथ नहीं है तो पैदल यात्री सड़क पर दाईं तरफ ही चलेंगे ताकि उन्हें सामने से आ रही गाड़ियां दिख सकें। मगर भारत में ऐसा नहीं है।
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि भारत में गाड़ियां भी बाईं तरफ ही चलती हैं, इसलिए पैदल भी बाईं तरफ ही चलना सुरक्षित होगा। मगर यह पूरी तरह सही भी नहीं है। दाईं ओर पैदल चलने से लोगों को सामने से आ रही गाड़ियों को सीधे देखकर समय रहते बचने का मौका मिल जाता है। इससे सड़क हादसों का खतरा कम होता है।
इसके पीछे का लॉजिक क्या है? दरअसल, भारत में लैफ्ट हैंड ट्रैफिक चलता है। यानी बाईं ओर गाड़ियां चलती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि पैदल यात्री भी बाईं तरफ ही चलें। ऐसा इसलिए क्योंकि बाईं तरफ से आने वाली गाड़ियां तो पैदल यात्रियों को देख सकती हैं, जिससे उनके टकराने का खतरा कम होता है। और बाईं तरफ चलने वाला यात्री सामने से आने वाली गाड़ी को भी देख सकता है और समय रहते बच सकता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक , दुनियाभर में अमेरिका, चीन, फ्रांस और जर्मनी जैसे 70% से ज्यादा देशों में राइट हैंड ट्रैफिक रूल है। जबकि, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, यूके, साउथ अफ्रीका, हॉन्गकॉन्ग जैसे देशों में लेफ्ट हैंड ट्रैफिक रूल है।
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