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गुजरात: कांग्रेस ने OBC अध्यक्ष और दलित नेता पर ही क्यों लगाया दांव

राहुल गांधी की सामाजिक न्याय की राजनीति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगें ने अमित चावड़ा (OBC) को गुजरात का प्रदेश अध्यक्ष और तुषार चौधरी (ST) को विधायक दल का नेता नियुक्त किया है।

Amit Chavda

अमित चावड़ा। Photo Credit (@AmitChavdaINC)

कांग्रेस को गुजरात की सत्ता में वापस आने का 30 सालों से इंतजार है। पार्टी साल 1995 से ही राज्य की सत्ता में आने की जगत में लगी हुई है, लेकिन उसे अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई है। हालांकि, ग्रैंड ओल्ड पार्टी गुजरात में सरकार बनाने के लिए अभी से सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपना रही है। पार्टी ने पिछले दिनों गुजरात का प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी समुदाय और विधानसभा में पार्टी का नेता एसटी समुदाय से चुना।

 

राहुल गांधी की सामाजिक न्याय की राजनीति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगें ने अमित चावड़ा (OBC) को गुजरात का प्रदेश अध्यक्ष और तुषार चौधरी (ST) को विधायक दल का नेता नियुक्त किया है। अमित चावड़ा ने शक्ति सिंह गोहिल की जगह ली है। अमित चावड़ा इससे पहले साल 2018 से 2021 तक गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके नेतृत्व में कांग्रेस की 2022 के चुनाव में शर्मनाक हार हुई थी और उसे महज 17 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। 

अमित चावड़ा पर दांव

मगर, एक बार फिर से राहुल गांधी ने अमित चावड़ा पर दांव खेला है। दरअसल, कांग्रेस पूरे देश में सामाजिक न्याय की राजनीति पर जोर दे रही है। इसके लिए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी राज्यों और जिलों में सामाजिक न्याय पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने गुजरात से की है। पिछले दिनों कांग्रेस ने गुजरात में 40 जिला एवं शहर इकाइयों के अध्यक्ष बनाए गए। जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में पार्टी ने ओबीसी, एससी और एसटी के नेताओं को जगह दी है। कांग्रेस ने इसे ‘संगठन सृजन’ अभियान का नाम दिया है।

 

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2027 के लिए तैयारी कर रही पार्टी

गुजरात में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि गुजरात विधानसभा चुनाव 2027 के लिए पार्टी को तैयार किया जा रहा है। इसी कड़ी में पार्टी ने अमित चावड़ा और तुषार चौधरी की भी नियुक्ति की है। सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे समेत पार्टी के बड़े नेता इस समय ओबीसी पॉलिटिक्स की पिच पर एक्टिव हैं। इसी सिलसिले में पार्टी आलाकमान से लेकर कांग्रेस का पब्लिक डोमेन में मौजूद हर नेता संसद से सड़क तक जातिगत जनगणना की मांग कर रहा है। यहां तक की जब केंद्र की मोदी सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का ऐलान किया तो कांग्रेस ने बिना देर किए इसका क्रेडिट लेने की कोशिश की। 

 

यही नहीं गुजरात में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में राहुल गांधी ने ओबीसी समुदाय को पार्टी से जोड़ने की जरूरत पर बल दिया था। अमित चावड़ा गुजरात में पार्टी के बड़े चेहरा हैं, उनके पास अनुभव है और वह ओबीसी समुदाय से आने के कारण इस सियासत में फिट बैठते हैं।

कांग्रेस का गिरता जनाधार

गुजरात में कांग्रेस अपने गिरते जनाधार की वजह से अपनी रणनीति को बदलने पर मजबूर हुई है। इस रणनीति को बदलवाने के पीछे बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों ही हैं। दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव तक गुजरात में कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुकाबला देखने को मिलता था लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में 'आप' की एंट्री के बाद राज्य के समीकरण एकदम से बदल गए। जहां 2017 तक कांग्रेस-बीजेपी के वोट शेयर की बीच 7 से 8 फीसदी का अंतर होता था वह 2022 के चुनाव में 25 प्रतिशत पहुंच गया। यह सब हुआ आम आदमी पार्टी की वजह से।

 

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2017 और 2022 के चुनाव और समीकरण

2017 के चुनाव में कांग्रेस ने 41.44 फीसदी वोट शेयर हासिल करके 77 सीटें जीतने में कामयाब रही थी, जबकि बीजेपी ने 49.05 फीसदी वोट शेयर के साथ में 99 सीटें जीतीं। मगर, 2022 के चुनाव में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा। इस बार कांग्रेस को महज 27.3 फीसदी ही वोट शेयर प्राप्त हुआ और उसे 17 सीटों के साथ में मायूसी हाथ लगी। बीजेपी ने पिछले चुनाव के मुकाबले अपने वोट शेयर बढ़ाते हुए अपनी सीटें भी बढ़ा लीं। भगवा पार्टी ने इस बार 52.5 फीसदी वोट शेयर के साथ में 156 सीटें जीत लीं। वहीं, पहली बार गुजरात विधानसभा का चुनाव लड़ी आम आदमी पार्टी ने 13 फीसदी वोट शेयर और 5 सीटें जीतकर कांग्रेस का तगड़ा झटका दिया।

 

आम आदमी पार्टी ने गुजरात में पार्टी की कमान इशुदान गढ़वी को सौंप रखी है। इशुदान गढ़वी ओबीसी वर्ग से ही आते हैं। कांग्रेस के इस दांव के पीछे रणनीति आम आदमी पार्टी के ओबीसी प्रदेश अध्यक्ष वाले कार्ड को काउंटर करने की भी हो सकती है। साथ ही कहीं ना कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ओबीसी वर्ग से आते हैं तो पार्टी मोदी को भी अमित चावड़ा के जरिए काउंटर करने की कोशिश करेगी। 

अमित चावड़ा पार्टी के विश्वसनीय नेता

कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी खुले तौर पर यह कह चुके हैं कि पार्टी में कई ऐसे नेता हैं, जो कांग्रेस में रहकर भाजपा के लिए काम करते हैं। खुद राहुल गांधी भी कई कार्यक्रमों में ऐसे नेताओं की पहचान करके उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कह चुके हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में गुजरात कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। कुछ तो ऐन चुनाव के वक्त पार्टी छोड़कर चले गए थे। अविश्वास के दौर से गुजर रही गुजरात कांग्रेस में अमित चावड़ा एक विश्वसनीय नेता हैं।

 

अमित चावड़ा पांच बार के विधायक हैं और उनकी छवि कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता की रही है। अमित चावड़ा गुजरात के ऐसे चुनिंदा नेताओं में शुमार किए जाते हैं, जिनकी स्वीकार्यता पूरे गुजरात में है। साफ-सुथरी छवि के अमित चावड़ा गुजरात के साथ में संगठन के भीतर भी लोकप्रिय चेहरा हैं। सेंट्रल गुजरात, खासकर आणंद और आसपास के इलाकों में उनका मजबूत प्रभाव है।

तुषार चौधरी की राजनीतिक विरासत

वहीं, तुषार चौधरी पूर्व मुख्यमंत्री अमर सिंह चौधरी के बेटे हैं। वह खुद दो बार के सांसद हैं। तुषार चौधरी को विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल का नेता बानाकर पार्टी गुजरात के अनुसुचित जनजाति के वोटरों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। बीजेपी यहां बहुत मजबूत है और अपनी जड़ें जमाए हुए हैं। साथ ही गुजरात में अरविंद केजरीवाल भी लगातार सक्रिय हैं। ऐसे में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में देखना होगी कि कांग्रेस की ओबीसी-एसटी राजनीति कितना फायदेमंद साबित होती है?

गुजरात में ओबीस और दलित कितने परसेंट?

बता दें कि गुजरात में अन्य पिछड़ा वर्ग आनी OBC वर्ग आबादी के लिहाज से सबसे ज्यादा है। यह वर्ग राज्य की सियासत में किंग की भूमिका रखता है। गुजरात में 55 फीसद ओबीसी हैं। इसमें से 15 फीसदी पाटीदार ओबीसी हैं। हार्दिक पटेल इसी पाटीदार वर्ग से आते हैं, जो अब बेजेपी के साथ हैं। इसके अलावा 2011 की जनगणना के मुताबिक गुजरात में अनुसूचित जाति (SC) की आबादी राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 7 फीसदी है। वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस के नेता हैं। वह दलित वर्ग से आते हैं और वह गुजरात में दतिल नेताओं में बड़ा चेहरा हैं।

गुजरात में आरक्षित सीट कितनी है?

गुजरात में अनुसूचित जनजाति के लिए 27 सीटें सुरक्षित हैं। 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने इन 27 सुरक्षित सीटों में से 16 पर जीत हासिल हुई थी जबकि बीजेपी को दस से ही संतोष करना पड़ा थाऐसे में आगामी 2027 के चुनाव में तुषार चौधरी को पार्टी चेहरा बनाकर इन 27 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा जीतने की कोशिश करेगी

 

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