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भारी भीड़ में न जाएं संगम, इन जगहों पर स्नान से भी मिलता है उतना ही फल

प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान संगम पर अधिक भीड़ न हो इसलिए कई घाटों का निर्माण किया गया है। जानते हैं किन 5 घाटों पर स्नान करने से मिलता है एक जैसा फल।

Image of Kumbh Mela Snan

कुंभ में स्नान।(Photo Credit: PTI Image)

प्रयागराज, जिसे तीर्थराज भी कहा जाता है, पवित्र नदिय गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम के लिए प्रसिद्ध है। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में गंगा स्नान के लिए करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर स्नान कर रहे हैं, जिनका अपना एक विशेष महत्व माना जाता है।

 

महाकुंभ में अमृत स्नान के दौरान कई लोगों में त्रिवेणी पर स्नान करने की इच्छा अधिक होती है लेकिन अधिक भीड़ के कारण कई लोगों को असुविधा का भी सामना करना पड़ता है। हालांकि, त्रिवेणी संगम के अलावा भी प्रयागराज में कई ऐसे घाट हैं जहां स्नान करने से लाभ प्राप्त होता है। इन घाटों का वर्णन प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है और हर घाट से जुड़ी अपनी एक पौराणिक कथा और मान्यता होती है।

अरैल घाट

अरैल घाट प्रयागराज के सबसे पवित्र घाटों में से एक है, जो यमुना नदी के किनारे स्थित है। इस घाट की विशेषता यह है कि यह महर्षि अरविंद और स्वामी करपात्री जी की साधना स्थली रहा है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु इस घाट पर स्नान करते हैं, उन्हें मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।

 

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मान्यताओं के अनुसार, अरैल क्षेत्र में कई ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी। यहां स्नान करने से मनुष्य के सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं और उसे आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। यह घाट संगम से थोड़ी दूरी पर स्थित होने के कारण अपेक्षाकृत शांत रहता है, जिससे यहां स्नान और ध्यान का विशेष लाभ मिलता है।

दारागंज घाट

दारागंज घाट प्रयागराज के सबसे प्राचीन घाटों में से एक है। इसे ऋषियों और संतों का घाट भी कहा जाता है, क्योंकि यहां प्राचीन काल से ही कई संत-महात्माओं ने तपस्या की है।

मान्यता है कि इस घाट पर स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें त्रिवेणी में स्नान की तरह ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। खासतौर पर माघ मास में यहां स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। कई श्रद्धालु इस घाट पर गंगा स्नान कर दान-पुण्य करते हैं, जिससे उन्हें कई जन्मों का पुण्य प्राप्त होता है।

किला घाट

किला घाट प्रयागराज का एक ऐतिहासिक घाट है, जो अकबर के किले के पास स्थित है। यह घाट संगम क्षेत्र के निकट ही पड़ता है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस घाट की मान्यता यह है कि यहां स्नान करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है। साथ ही, यह स्थान ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां किले के अंदर एक पुराना अक्षयवट वृक्ष मौजूद है, जिसे अनंतकाल से अमरत्व का प्रतीक माना जाता है। श्रद्धालु यहां स्नान करने के बाद अक्षयवट के दर्शन के लिए भी जाते हैं।

त्रिवेणी घाट

त्रिवेणी घाट संगम क्षेत्र से कुछ दूरी पर स्थित एक पवित्र घाट है। यह घाट मुख्य रूप से धार्मिक अनुष्ठान, श्राद्ध कर्म और तर्पण के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस घाट पर पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

त्रिवेणी घाट का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां तीनों नदियों—गंगा, यमुना और सरस्वती का प्रवाह मिलता है। यहां स्नान करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और वह आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होता है।

 

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दशाश्वमेध घाट

दशाश्वमेध घाट वाराणसी की तरह प्रयागराज में भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है और कहा जाता है कि यहां भगवान ब्रह्मा ने दस अश्वमेध यज्ञ किए थे, जिससे इसका नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा।

 

मान्यता है कि इस घाट पर स्नान करने से व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। खासतौर पर कुंभ और माघ मेले के दौरान यहां स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। श्रद्धालु यहां स्नान करके भगवान विष्णु और शिव की पूजा करते हैं।

प्रयागराज के घाटों पर स्नान का महत्व

शास्त्रों में गंगा स्नान के महत्व को विस्तार से बताया गया है। विशेष रूप से कुंभ के दौरान इन घाटों पर स्नान करने से व्यक्ति को कई फल प्राप्त होते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि पौराणिक काल में जिन चार जगहों पर  अमृत गिरा था, उनमें प्रयागराज का संगम भी शामिल है। ऐसे में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ के दौरान गंगा में स्नान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। साथ ही ऊपर दिए गए घाटों पर स्नान करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

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