logo

ट्रेंडिंग:

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: जहां एक साथ विराजते हैं शिव और शक्ति

भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर का विशेष स्थान है। आइए जानते हैं, इस स्थान से जुड़ा इतिहास और महत्व।

Image of Mallikarjuna Jyotirlinga temple

मल्लिकार्जुन मंदिर।(Photo Credit: srisailadevasthanam.org)

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में दूसरा मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है, जो आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है। इसे दक्षिण के कैलाश के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग को देखने मात्र से ही समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव के इस प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग का वर्णन विभिन्न धर्म ग्रंथों में अलग-अलग प्रकार से किया गया है। आइए जानते हैं, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौरणीक कथा, इतिहास और मान्यताएं।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के दो पुत्र यानी भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश में यह विवाद हो गया कि उनमें से श्रेष्ठ कौन है। इस प्रश्न का समाधान निकालने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती ने एक प्रतियोगिता रखी। उन्होंने कहा कि जो पहले पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा, वही श्रेष्ठ माना जाएगा।

 

यह भी पढ़ें: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: क्यों कहा जाता है इसे भगवान शिव का प्रथम धाम?

 

भगवान कार्तिकेय ने तुरंत अपने वाहन मयूर पर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। वहीं, भगवान गणेश ने माता-पिता की सात बार परिक्रमा की और कहा कि मेरे माता-पिता ही मेरी संपूर्ण सृष्टि हैं। इसलिए मुझे पृथ्वी की परिक्रमा करने की आवश्यकता नहीं। उनकी यह भक्ति देखकर भगवान शिव और माता पार्वती ने गणेशजी को प्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद दिया।

 

जब कार्तिकेय यात्रा पूरी कर वापस आए और यह निर्णय सुना, तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए। वे अपने माता-पिता से दूर दक्षिण दिशा में क्रौंच पर्वत पर चले गए। पुत्र के इस व्यवहार से माता पार्वती दुखी हो गईं और भगवान शिव के साथ अपने पुत्र को मनाने के लिए वहां पहुंचे। जब वे वहां पहुंचे तो भगवान कार्तिकेय ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया। माता-पिता अपने पुत्र को दूर से देख भावुक हो उठे और वहीं रहने का निश्चय किया।

 

भगवान शिव मल्लिकार्जुन के रूप में और माता पार्वती देवी भ्रामरांबिका के रूप में इस स्थान पर विराजमान हो गए। तभी से यह स्थान एक पवित्र तीर्थस्थल बन गया और यहां स्थापित शिवलिंग को मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कहा जाने लगा।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास

भगवान शिव का यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और विभिन्न राजाओं ने समय-समय पर इसका जीर्णोद्धार कराया। कहा जाता है कि इस मंदिर का उल्लेख महाभारत और रामायण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है।

 

इतिहासकारों के अनुसार, इस मंदिर का पुनर्निर्माण सातवाहन वंश के शासकों ने करवाया था। इसके बाद विभिन्न दक्षिण भारतीय राजाओं जैसे काकतीय, विजयनगर साम्राज्य और मराठा शासकों ने इस मंदिर की भव्यता को बनाए रखा। यह भी कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इस स्थान पर आकर ध्यान लगाया था और यहां उन्होंने अपनी आत्मिक शक्ति को जागृत किया था।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व

मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है और वह शिवलोक को प्राप्त करता है। श्रीशैलम पर्वत का यह मंदिर बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती साक्षात विराजमान हैं।

इस मंदिर की विशेषता यह भी है कि यहां शिव और शक्ति दोनों की पूजा की जाती है। माता पार्वती के भ्रामरांबिका रूप की उपासना शक्ति पीठ के रूप में की जाती है।

 

यह भी पढ़ें: भगवान शिव के भूतनाथ मंदिर की कथा, जहां होती हैं अजीबो-गरीब घटनाएं

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग से जुड़े रहस्य

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के विषय में कहा जाता है कि यह स्वयंभू है, यानी भगवान शिव स्वयं इस स्थान पर प्रकट हुए थे। साथ ही इस मंदिर में स्थित नंदी की मूर्ति बहुत ही रहस्यमयी है। ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई श्रद्धा से इस नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहता है, तो वह शीघ्र ही पूरी होती है। इसके साथ यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहां शक्ति पीठ और ज्योतिर्लिंग दोनों एक ही जगह पर स्थित हैं। इस कारण इसे अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap