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नेपाल का प्रभुनाथ मंदिर: राम-सीता ने यहां यज्ञ क्यों किया?

नेपाल के प्यूठान जिले में स्थित प्रभुनाथ मंदिर अपनी अध्यात्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता को लेकर बहुत प्रसिद्ध है। आइए जानते हैं इस मंदिर की विशेषता, पौराणिक कथा और महत्व।

Nepal Prabhu nath Mandir

नेपाल प्रभुनाथ मंदिर: Photo Credit: Self

नेपाल के प्यूठान जिले में स्थित बाबा प्रभुनाथ मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि भारत-नेपाल की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी माना जाता है। स्वर्गद्वारी क्षेत्र में बसे इस प्राचीन मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। मान्यता है कि द्वापर युग में पांडवों ने यहां पूजा-अर्चना की थी और पवित्र अग्नि की स्थापना की थी, जो आज भी निरंतर जल रही है। यही वजह है कि यह स्थान हिंदू श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना स्वामी हंसानंद ने की थी, जिनके चमत्कारों और तपस्या की अनेक कथाएं आज भी भक्तों के बीच सुनाई जाती हैं। हंसानंद महाराज नारायण खत्री के नाम से भी प्रसिद्ध थे।

 

स्थानीय लोगों का विश्वास है कि यहां दर्शन करने से रोग-दोष दूर होते हैं और जीवन में शांति प्राप्त होती है। यह मंदिर नेपाल के पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन लेकिन आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देने वाला सफर करना पड़ता है। यह मंदिर भगवान शिव और विष्णु जी को समर्पित है। 

 

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पौराणिक कथा

इस मंदिर से जुड़ी बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इसमें से दो कथाएं बहुत प्रचलित जिनके अनुसार, भगवान श्रीराम और माता सीता ने वनवास काल में प्रभुनाथ क्षेत्र में नदी के किनारे विश्राम किया था। मान्यता है कि यहीं पर श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं दूसरी कथा के अनुसार, वनवास के दौरान देवी सीता और श्रीराम ने यहां यज्ञ किया था। 

 

एक अन्य कथा के अनुसार, यह स्थान भगवान विष्णु और शिव जी के मिलन का केंद्र माना जाता है। इसलिए इसे अद्वितीय तीर्थ माना जाता है। इस स्थल की एक कथा महाभारत से भी जोड़ी जाती है, जिसके अनुसार, अज्ञातवास के दौरान पंडावों ने इसी स्थान पर पूजा-अर्चना की थी और पवित्र अग्नि की स्थापना की थी। 

मंदिर से जुड़ी मान्यता

मान्यता है कि यहां दर्शन और पूजा करने से व्यक्ति को पितृदोष और जीवन की कई कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। संतान सुख की कामना करने वाले दंपत्ति यहां विशेष पूजा करते हैं।

 

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यह मंदिर भगवान शिव और विष्णु के अद्भुत स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। इसे 'हरिहर क्षेत्र' भी कहा जाता है, क्योंकि यहां हर (शिव) और हरि (विष्णु) दोनों की उपासना की जाती है।

मंदिर तक पहुंचने का रास्ता

भारत से: बिहार के छपरा, हाजीपुर और पटना से सड़क मार्ग के जरिए रक्सौल बॉर्डर पार करके प्रभुनाथ मंदिर जाया जा सकता है।

नेपाल से: परसा जिले के मुख्य शहर बीरगंज से प्रभुनाथ मंदिर लगभग 10–12 किलोमीटर की दूरी पर है, जहां स्थानीय वाहन और टैक्सी आसानी से उपलब्ध रहते हैं।

नजदीकी रेलवे स्टेशन: भारत के रक्सौल रेलवे स्टेशन तक रेल सेवा उपलब्ध है, वहां से सड़क मार्ग के जरिए मंदिर जाया जाता है।

नजदीकी एयरपोर्ट: नजदीकी हवाई अड्डा पटना (भारत) और सिमरा (नेपाल) है।

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