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'ॐ नमः शिवाय' : पंचाक्षर मंत्र का अर्थ, प्रभाव और लाभ जानें

भगवान शिव की पूजा में शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से किया जाता है। आइए जानते हैं, क्या इस मंत्र का अर्थ और इसके नियम।

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भगवान शिव की प्रतिमा।(Photo Credit: Pexel)

हिन्दू धर्म में भगवान की शिव की उपासना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाया है। धर्म-ग्रंथों में भगवान शिव विभिन्न मंत्र और स्तोत्र का उल्लेख मिलता है, जिनके महत्व को भी विस्तार से बताया गया है। इन्हीं में एक शिव पंचाक्षर मंत्र भी विशेष महत्व रखता है। इस मंत्र को भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत प्रभावशाली और पवित्र मंत्र है।

 

बता दें कि शिव पंचाक्षर मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' है, जिसमें पांच अक्षर (न, म, शि, वा, य) हैं, जिस वजह से इसे पंचाक्षर मंत्र कहा जाता है। मान्यता है कि यह मंत्र शिवभक्तों के लिए मोक्ष, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला माना जाता है।

शिव पंचाक्षर मंत्र का अर्थ

'ॐ नमः शिवाय' का शाब्दिक अर्थ होता है 'भगवान शिव को नमन'।

 

‘ॐ’ यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है, जो दिव्यता का प्रतीक है।

 

नमः- इसका अर्थ है 'नमन' या 'प्रणाम'।

 

शिवाय – यह भगवान शिव के प्रति समर्पण को दर्शाता है। 'शिव' का अर्थ होता है कल्याणकारी, अर्थात जो समस्त ब्रह्मांड के लिए कल्याणकारी हैं।

 

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शिव पंचाक्षर मंत्र के जप के नियम

कहा जाता है कि शिव पंचाक्षर मंत्र के जाप से पहले स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करना आवश्यक है। इसके साथ 108 रुद्राक्ष माला से इस मंत्र का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।

 

कहा जाता है कि ब्रह्म मुहूर्त में इस मंत्र का जाप करने से इसका प्रभाव बढ़ जाता है। इसके लिए सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच का समय सर्वोत्तम माना जाता है। मंत्र का जाप ध्यानपूर्वक और एकांत में करें ताकि मन एकाग्र रह सके।

 

इसके साथ भगवान शिव को जल और बिल्व पत्र चढ़ाकर जाप करना चाहिए और इस मंत्र का नित्य जाप करने से अधिक लाभ मिलता है। मंत्र जप के दौरान सात्विक भोजन लेना चाहिए और संयमित जीवनशैली को अपनाना चाहिए।

शिव पंचाक्षर मंत्र का महत्व

मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से तनाव और चिंता दूर होती है, जिससे मन को शांति मिलती है। साथ ही इस मंत्र के माध्यम से व्यक्ति आत्मिक जागृति और ईश्वर से जुड़ाव अनुभव करता है। शिव पंचाक्षर मंत्र का निरंतर जाप करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

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एक मान्यता यह भी है कि यह मंत्र नकारात्मक विचारों, भय और बाधाओं को समाप्त करता है। इसके साथ भगवान शिव की कृपा से पिछले जन्मों के पाप और कर्मों का नाश होता है।

कहा जाता है कि इस मंत्र का जप करने से जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से बचाव होता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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