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क्या सोचकर बनाया गया था सुपर कमांडो ध्रुव? पढ़िए पूरी कहानी

तमाम सुपरहीरो इस वजह से मशहूर होतै हैं क्योंकि उनके पास कोई एक खास शक्ति होती है। भारत में मशहूर हुए सुपर कमांडो ध्रुव की खासियत थी कि उसके पास कोई ऐसी शक्ति ही नहीं थी। 

super commando dhruv

सुपर कमांडो ध्रुव, AI Generated Image

धंधे का उसूल है कि साल के आखिर में हिसाब-किताब करना पड़ेगा। साल 2013, राज कॉमिक्स वालों ने एक लिस्ट निकाली। बोले, ये हैं हमारी टॉप 20 बेस्ट-सेलर कॉमिक्स। इंडिया का सबसे बड़ा कॉमिक सुपरहीरो कौन? अब हम जैसे जो पुरानी यादों की खूंटी पर टंगे लोग हैं, हमसे कोई पूछता तो हम क्या कहते- नागराज- फुफकारता हुआ हीरो या फिर डोगा, जो मारता कम था रगड़ता ज़्यादा था।
 
हीरो अक्सर ऐसे ही पसंद आते हैं। ज़्यादा मर्यादाओं की बात करने वाले पब्लिक को बोर लगते हैं। खैर, राज कॉमिक्स की लिस्ट से कुछ ऐसी ही उम्मीद थी लेकिन सारा हिसाब गड़बड़ निकल गया। टॉप 20 में से 6 किताबें एक ऐसे हीरो की थीं, जिसके पास कोई सुपरपावर ही नहीं थी और बाकी की 14 कॉमिक्स वह थीं जिनमें वह दूसरे हीरोज के साथ मौजूद था। मतलब, पूरी की पूरी टॉप 20 लिस्ट में एक ही लड़का कुंडली मारकर बैठा था।

 

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लड़का भी कैसा? जिसके पास न कोई दिव्य शक्ति, न कोई मायावी अस्त्र। सर्कस में पला-बढ़ा एक आम सा लड़का, जिसने कसम खाई थी कि वह किसी को मारेगा नहीं। नाम था ध्रुव। नागराज की शक्तियों और डोगा के गुस्से से ज़्यादा पसंद किए जाने वाले इस सुपरहीरो में ऐसा क्या था? इसे बनाया किसने, रियल इंडियन पुलिस का इससे क्या कनेक्शन था? सब जानिए अलिफ लैला की इस किस्त में। 

सुपर कमांडो ध्रुव

 

कॉमिक्स के मामले में मार्वेल और DC वाले बड़े सेठ हैं, इसलिए बात वहां से शुरू होगी। एक दिलचस्प कनेक्शन से। एक सवाल सुनिए- Marvel की दुनिया का सबसे बड़ा नाम कौन है? जाहिर है आयरन मैन यानी टोनी स्टार्क। यहां हम मार्वेल फ़िल्मों की बात कर रहे हैं। कॉमिक्स में तो अपना मकड़ामानव सबसे हिट है लेकिन फ़िल्मों में सबसे हिट हुआ आयरन मैन। एक ऐसा आदमी जिसके पास असल में कोई सुपरपावर नहीं है। उसकी एकमात्र शक्ति है उसका दिमाग। एक जीनियस दिमाग, जो कुछ भी बना सकता है।

 

 

साल 2008 में जब पहली आयरन मैन फिल्म आई, तो उसने सुपरहीरो फिल्मों को हमेशा के लिए बदल दिया और यह बदलाव किसी ऐक्शन सीन से नहीं आया। यह आया फिल्म के आखिरी 30 सेकंड से। प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी। टोनी स्टार्क के हाथ में कुछ कार्ड्स थे। जिनमें लिखा था कि उसे दुनिया से झूठ बोलना है। कहना है, 'आयरन मैन मेरा बॉडीगार्ड है', यह सुपरहीरो की पहचान छिपाने का पुराना नियम था लेकिन टोनी ने कार्ड्स फेंके। कैमरे की तरफ देखा और कहा, 'मैं ही आयरन मैन हूं।'

 

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कॉमिक्स में आयरन मैन हमेशा अपनी पहचान छिपाता आया था। फिल्म ने सबसे बड़ा नियम तोड़ दिया था लेकिन मज़े की बात यह है कि मार्वल ने जो यह हिम्मत 2008 में दिखाई, वह हिम्मत एक हिंदुस्तानी राइटर 21 साल पहले, 1987 में ही दिखा चुका था। उनका नाम था अनुपम सिन्हा। राज कॉमिक्स के राइटर और आर्टिस्ट। अनुपम उस दौर में सुपरहीरोज की बनी-बनाई परिभाषा से सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि दुनिया की सबसे बड़ी ताकत कोई मायावी शक्ति नहीं, बल्कि इंसान का सोचने वाला दिमाग है। वह कहते थे कि यह जो पहचान छिपाने का बहाना है कि इससे क्रिमिनल्स के दिल में डर पैदा होता है, यह सब बकवास है क्योंकि असल में ज़्यादातर सुपरहीरोज अनाथ थे, उनके बीवी-बच्चे नहीं थे तो उन्हें अपनी पहचान छिपाकर बचाना किसको था?

 

इसी सोच के साथ अनुपम सिन्हा ने एक नया हीरो बनाया। एक ऐसा हीरो जो बहुत यंग था, ताकि बच्चे उससे जुड़ सकें। जिसके पास कोई सुपरपावर नहीं थी और जिसका कोई अल्टर ईगो या छिपी हुई पहचान नहीं थी। इस हीरो का जन्म हुआ 1987 की कॉमिक 'प्रतिशोध की ज्वाला' में। नाम था ध्रुव। उसके मां-बाप, राधा और श्याम , Jupiter Circus में ट्रेपीज़ आर्टिस्ट थे। हवा में करतब दिखाते थे। उन्होंने अपने बेटे का नाम रात के सबसे चमकीले तारे, ध्रुव तारे पर रखा था। सर्कस में जानवरों और कलाकारों के बीच रहते-रहते ध्रुव एक एक्सपर्ट एक्रोबैट, स्टंट बाइकर और निशानेबाज़ बन गया। सबसे अनोखी बात यह थी कि उसने जानवरों और पक्षियों से बात करने की कला सीख ली थी।

 

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ध्रुव की यह खुशहाल दुनिया ज़्यादा दिन नहीं टिकी। पास के ग्लोब सर्कस का मालिक जुपिटर सर्कस की कामयाबी से जलता था। उसने अपने एक आदमी जुबिस्को के साथ मिलकर एक रात जुपिटर सर्कस में आग लगा दी। उस आग में ध्रुव के मां-बाप मारे गए। 14 साल का ध्रुव अनाथ हो गया। कंपेयर करेंगे तो यह कहानी DC के कॉमिक्स से काफ़ी मिलती जुलती है। बैटमैन भी बचपन में अनाथ हो गया था। बाद में बदले की भावना ने उसका अल्टर ईगो पैदा किया। ध्रुव की कहानी भी ऐसी हो सकती थी लेकिन यहीं पर एक ट्विस्ट आया। ध्रुव को राजनगर के पुलिस कमिश्नर राजन मेहरा ने गोद ले लिया। ध्रुव ने अपने मां-बाप की मौत का बदला लेने की कसम तो खाई लेकिन उसने अपने गुस्से को नफरत नहीं बनने दिया। उसने बदले की भावना को एक मिशन में बदल दिया। वह जुर्म के खिलाफ लड़ेगा ताकि जो उसके साथ हुआ, वह किसी और के साथ न हो और उसने यह लड़ाई बिना किसी नकाब के लड़ी। अनुपम सिन्हा ने ध्रुव को मास्क इसलिए नहीं दिया क्योंकि उनका कहना था कि जब असली पुलिस वाले बिना अपनी पहचान छिपाए, अपनी जान जोखिम में डालकर अपराध से लड़ते हैं तो मेरा हीरो क्यों अपनी पहचान छिपाएगा।

 

अनुपम ध्रुव को एकदम सिंपल दिखने वाला किरदार बनाना चाहते थे। इसलिए शुरुआत में उसे आम शर्ट पैंट पहनाई। हालांकि, बाद में उन्हें लगा कि अलग लुक तो होना ही चाहिए इसलिए ध्रुव को सर्कस की जड़ों से जोड़ते हुए एक्रोबैट वाला पीला-नीला कॉस्ट्यूम दिया गया।

 

दिमाग, दोस्त और जुगाड़

 

एक 14 साल का लड़का, जिसके पास कोई सुपरपावर नहीं। अब वह अपराधियों से लड़ेगा कैसे? इसका जवाब एक नहीं, तीन हैं। पहला, उसका दिमाग और सर्कस में सीखी कला। दूसरा, उसके दोस्त और परिवार और तीसरा, उसकी बहन का बनाया हुआ देसी जुगाड़।


चलिए पहले पॉइंट पर आते हैं। ध्रुव का शरीर इंसानी क्षमताओं की चरम सीमा पर था। सर्कस में उसने कलाबाज़ियां सीखी थीं, जिससे वह ऊंची इमारतों से आसानी से कूद सकता था। वह एक कमाल का स्टंट बाइकर था, जो अपनी बाइक पर राजनगर की गलियों में गश्त लगाता था और उसका निशाना अचूक था लेकिन उसकी सबसे बड़ी, सबसे अनोखी ताकत थी जानवरों से बात करने की कला। राजनगर शहर के कुत्ते और चिड़िया, ध्रुव की आंख और कान का काम करते। शहर के किस कोने में क्या हो रहा है, इसकी खबर उसे जानवरों से मिल जाती थी।

 

अब आते हैं दूसरे पॉइंट पर। जुगाड़, यानी गैजेट्स। ध्रुव के पास बैटमैन जितनी दौलत तो नहीं थी लेकिन उसके पास अपनी एक पर्सनल जीनियस थी- उसकी गोद ली हुई बहन, श्वेता मेहरा। श्वेता एक साइंटिस्ट थी जो अपने भाई के लिए कमाल के गैजेट्स बनाती थी। जैसे कि एक स्टार-लाइन, जो एक तरह की हुक वाली रस्सी थी और कहीं भी आने-जाने में मदद करती। जूते, जो एक बटन दबाते ही रोलर-स्केट्स में बदल जाते। स्टार ब्लेड्स, जो फेंककर मारे जा सकते थे और एक स्टार-शेप का ट्रांसमीटर, जिससे कम्युनिकेशन होता था।

 

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ध्रुव की असली ताकत थी उसका सपोर्ट सिस्टम, उसके दोस्त और यहीं कहानी में एक और ट्विस्ट है। ध्रुव को बचाने के लिए श्वेता ने खुद एक सीक्रेट पहचान बना ली थी। वह रात में चांदिका नाम की नकाबपोश बनकर निकलती थी। अक्सर जब ध्रुव किसी बड़ी मुसीबत में फंसता, तो चांदिका कहीं से आकर उसे बचा ले जाती और ध्रुव को पता भी नहीं चलता कि उसकी मदद करने वाली लड़की असल में उसकी अपनी बहन है।

 

परिवार से उसे पूरा सपोर्ट था। उसके पिता, कमिश्नर राजन मेहरा, ध्रुव के काम में उसकी मदद करते। इतना ही नहीं, उन्होंने ध्रुव को एक सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त क्राइम-फाइटिंग यूनिट बनाने की इजाज़त भी दी। इसका नाम था Commando Force। इसमें ध्रुव के साथ तीन और नौजवान थे- पीटर, रेनू और करीम। यह ध्रुव की अपनी टीम थी, जो साबित करती थी कि वह एक लीडर है, सिर्फ एक अकेला लड़ने वाला हीरो नहीं।

 

जैसा पहले बताया ध्रुव के पास जन्म से कोई सुपरपावर नहीं थी, हालांकि बाद में उसे एक छोटी सी शक्ति मिली।। एक बार उसका सामना हुआ धनंजय से, जो पानी के अंदर बसे एक गुप्त शहर, स्वर्ण नगरी का योद्धा था। लड़ाई के बाद दोनों दोस्त बन गए। धनंजय ने ध्रुव को एक ख़ास केमिकल दिया, जिसकी मदद से ध्रुव 20 मिनट तक पानी के अंदर सांस ले सकता था।

जैसा हीरो, वैसे विलेन

 

किसी भी हीरो का कद उसके दुश्मनों से नापा जाता है। बैटमैन की कहानी से अगर जोकर को निकाल दें तो कहानी फीकी पड़ जाएगी। सुपरमैन की कहानी लेक्स लूथर के बिना अधूरी है। तो सवाल यह है कि सुपर कमांडो ध्रुव के दुश्मन कौन थे? वह किसके खिलाफ लड़ रहा था? ध्रुव के दुश्मनों की लिस्ट, जिसे Rogues Gallery कहते हैं, भारतीय कॉमिक्स की सबसे शानदार लिस्ट में से एक है। उसके दुश्मन कोई छोटे-मोटे चोर-उचक्के नहीं थे।

 

सबसे बड़ा नाम था ग्रैंडमास्टर रोबो। ध्रुव का सबसे बड़ा दुश्मन। रोबो एक इंटरनेशनल क्राइम सिंडिकेट का लीडर था। उसका आधा शरीर मशीन का था और उसकी एक आंख से लेज़र निकलती थी। यह लड़ाई सिर्फ एक हीरो और विलेन की नहीं थी। यह पर्सनल थी क्योंकि रोबो की बेटी, नताशा, ध्रुव से प्यार करती थी। नताशा हमेशा अपने पिता और अपने प्यार के बीच फंसी रहती। इस वजह से ध्रुव की रोबो से लड़ाई हमेशा दिल और दिमाग की लड़ाई बन जाती थी।

 

फिर था बौना वामन। जैसा नाम, वैसा काम। वह एक बौना था, जो खिलौने बनाने में जीनियस था लेकिन उसके खिलौने बच्चों के खेलने के लिए नहीं, बल्कि तबाही मचाने के लिए होते थे। वह किलर रोबोट्स और जानलेवा डॉल बनाता था। अगर साइंस के विलेन काफी नहीं थे, तो ध्रुव के सामने जादू-टोना भी आया। चंडकाल नाम का एक दैत्य, जो धरती पर बचा हुआ आखिरी दानव माना जाता था। वह अपनी दानवों की नस्ल को वापस ज़िंदा करना चाहता था।

 

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इसके अलावा महामानव जैसे विलेन थे, जिसके पास खतरनाक दिमागी शक्तियां थीं। वह अपनी सोच से दुनिया में बर्फीला युग लाना चाहता था। ध्वनिराज था, जो आवाज़ की तरंगों को हथियार की तरह इस्तेमाल करता था और चुंबा था, जिसके पास चुंबक की ताकत थी।


ध्रुव इन सबसे लड़ता तो था लेकिन उसकी कसम कि वह किसी की जान नहीं लेगा। अनुपम सिन्हा ने इस बात का ख़ास ध्यान रखा। शुरुआती कुछ कॉमिक्स में ध्रुव के पास एक पिस्टल होती थी लेकिन उसने उसे कभी चलाया नहीं। बाद में उस पिस्टल को हटा ही दिया गया, ताकि ध्रुव की अहिंसक छवि बनी रहे। वह अपने दुश्मनों को हराता था लेकिन उन्हें हमेशा सुधरने का एक मौका देता था। हीरो की जिंदगी में सिर्फ लड़ाई नहीं होती, प्यार भी होता है। एक तरफ तो विलेन की बेटी नताशा थी। तो दूसरी तरफ थी रिचा, उर्फ़ ब्लैक कैट। ब्लैक कैट एक शातिर चोरनी थी लेकिन उसका दिल अच्छा था। वह कई बार ध्रुव की मदद भी करती थी। 


ध्रुव इतना हिट क्यों?

अब उस सवाल पर आते हैं जो हमने शुरू में उठाया था। आखिर क्यों? एक ऐसा हीरो जिसके पास न कोई जादुई शक्ति थी, न वह किसी दूसरे ग्रह से आया था, वह भारत का सबसे पॉपुलर सुपरहीरो कैसे बन गया? इसका जवाब एक शब्द में है- अपनापन। सुपर कमांडो ध्रुव से पहले भारत में कॉमिक्स का मतलब था अमर चित्र कथा की पौराणिक कहानियां या फिर विदेशी हीरो की नकल। ध्रुव इन सबसे अलग था। वह आज के भारत का हीरो था। उसका शहर, राजनगर, मुंबई जैसा था। यहां ऊंची बिल्डिंग्स भी थीं और तंग गलियां भी। जंगल भी थे और समंदर का किनारा भी। ध्रुव इसी शहर की सड़कों पर अपनी मोटरसाइकिल लेकर घूमता था। 80 और 90 के दशक के बच्चों के लिए, ध्रुव एक 'आइडियल बड़ा भाई' जैसा था। वह अपने मां-बाप का सम्मान करता, अपनी बहन से उसकी नोक-झोंक चलती और फिर भी वह बुरे लोगों को मज़ा चखाता था। क्रिएटर अनुपम सिन्हा ने उसे जानबूझकर ऐसा बनाया था। उनका मानना था कि बच्चे हर उस बड़े इंसान को सुपरहीरो की तरह देखते हैं जो वह काम कर सकता है जो वह खुद नहीं कर सकते, जैसे अलमारी से टॉफी का डब्बा निकालना। ध्रुव बच्चों के लिए उन्हीं का एक बड़ा और बेहतर रूप था।

 

ध्रुव की खास बात कि उसने शरीफ होने को कूल बना दिया। उस दौर में जब एंग्री यंग मैन वाले हीरो का चलन था, ध्रुव शांत दिमाग से काम लेता। अनुपम सिन्हा दिखाना चाहते थे कि एक अच्छा और तमीज़दार बच्चा दब्बू नहीं होता। ध्रुव की यही छवि माता-पिता को भी पसंद आई। उन्हें लगा कि यह एक ऐसा हीरो है जिससे उनके बच्चे अच्छी बातें सीखेंगे।

 

बाद में ध्रुव ने नागराज और डोगा जैसे दूसरे हीरोज के साथ मिलकर भारत का पहला कॉमिक्स'शेयर्ड यूनिवर्स बनाया, ठीक वैसे ही जैसे हॉलीवुड में मार्वल और DC का है। ध्रुव की शोहरत सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रही। साल 2011 में, अमेरिका के मशहूर अखबार The Boston Globe ने दुनिया के सात इंटरनेशनल सुपरहीरोज का एक रिव्यू किया। इसमें सुपर कमांडो ध्रुव को 10 में से 8 की रेटिंग मिली। सुपरकमांडो ध्रुव का एक बॉलीवुड कनेक्शन भी है।
   
2021में आई फ़िल्म 'हम दो हमारे दो' में हीरो राजकुमार राव के किरदार का नाम 'ध्रुव'- सुपर कमांडो ध्रुव के नाम पर ही रखा गया था। फिल्म में उसके कमरे में ध्रुव के स्टिकर भी दिखते हैं। अंत में ध्रुव की विरासत यही है कि उसने साबित किया कि एक ओरिजिनल भारतीय हीरो, जो हमारी कहानियों और हमारे माहौल से निकला हो, सफल हो सकता है।

 

 

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