पाइथागोरस जीनियस या सनकी? पढ़िए ऐतिहासिक फॉर्मूला देने वाले की कहानी
शुरुआती कक्षाओं की गणित की किताबों में भी पाइथागोरस थ्योरी का जिक्र होता है और हर कोई इसके बारे में जानता भी है। क्या आप पाइथागोरस के बारे में इतना जानते हैं?

पाइथागोरस की कहानी, Photo Credit: Khabargaon
प्राचीन ग्रीस में ओलिंपिक खेलों के समापन पर एक अनुष्ठान किया जाता था। जिसे हेकाटूम कहते थे- हेकाटूम यानी सौ बैलों की बली। यह परंपरा धार्मिक आयोजनों पर फॉलो की जाती थी लेकिन एक बार ऐसा हुआ कि एक हेकाटूम का आयोजन एक ऐसे व्यक्ति ने किया, जो गणितज्ञ और वैज्ञानिक था। ऊंचे कद, लम्बी सफ़ेद दाढ़ी और सफ़ेद चोगे पहना यह शख्स वाला सौ बैलों की बलि इसलिए दे रहा था क्योंकि उसने एक गणितीय इक्वेशन की खोज कर ली थी। कौन सी इक्वेशन?
किसी ट्रायंगल का स्क्वायर उसकी बाकी दो भुजाओं के स्क्वायर के योग के बराबर होता है। a² + b² = c²। गणित का यह फॉर्मूला, जिसे हम बचपन में पाइथागोरस थियरम के नाम से पढ़ते थे। इसे ईजाद करने वाले शख्स को भारत में हम महज एक गणितज्ञ के रूप में जानते हैं लेकिन पाइथागोरस कोई आम गणितज्ञ नहीं थे।
अंग्रेज़ी का एक शब्द है कल्ट। कल्ट यानी एक ऐसा समूह जो अंध श्रद्धा पर चलता है। बाबा राम रहीम, आसाराम - ये सब कल्ट्स के लीडर हैं। इसी तरह पाइथागोरस का भी एक कल्ट हुआ करता था। किस्सा सुनिए - आज हम जानते हैं कि मैथ्स में दो प्रकार के नंबर होते हैं। रेशनल और इर्रेशनल। रेशनल यानी जिन्हें अनुपात में दर्शाया जा सके। मसलन ¾ , 2/3, ये सब रेशनल नंबर हैं। इससे इतर जो संख्याएं अनुपात में नहीं लिखी जा सकती जैसे, स्क्वायर रूट या पाई- ये सब इर्रेशनल नंबर हैं। पाइथागोरस का कहना था कि दुनिया की तमाम संख्याएं रेशनल होती हों। एक बार उसके एक शिष्य हिप्पासस ने ये खोज कर डाली कि √2 को पूर्ण संख्याओं के अनुपात में व्यक्त नहीं किया जा सकता। यानी सारे नंबर रेशनल नहीं हो सकते। ये बात पाइथागोरस के खिलाफ जाती थी। बस फिर क्या था, पाइथागोरस के चेले जमा हुए और हिप्पासस को समंदर में फेंक दिया।
पाइथागोरस की कहानी
अब सवाल यह कि एक गणितज्ञ, एक वैज्ञानिक ऐसा कातिल कल्ट कैसे बना गया? ऐसा क्या कहा पाइथागोरस ने। कौन था पाइथागोरस? जानेंगे कहानी इस एपिसोड में।
शुरुआत करते हैं एक सवाल से। बताइए 10+4 बराबर कितना। जाहिर है 14 लेकिन क्या ये बात यूनिवर्सल सत्य है? या मात्र कन्वेशन? घड़ी में 10 बज रहे हों। चार घंटे और जोड़ दो- कितना बजेगा- 2। अभी जो हमें उदाहरण दिए वे गणित को लेकर एक बहुत पुरानी बहस से जुड़े हैं। गणित का आविष्कार हुआ या इसे ईजाद किया गया? गणितज्ञों के बीच सदियों से ये बहस चली आ रही है और यकीन मानिए- दोनों तरफ का पलड़ा 50 -50 ही है। इस पेचीदगी के चलते 20वीं सदी की शुरुआत में गणित को लेकर एक बहुत बड़ा डिलेमा खड़ा हुआ। कैसे प्रूव करें कि 1+1 =2 होता है।
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पहली नज़र से देखने में ये ऑब्वियस सत्य लग सकता है। एक रुपया तेरा प्लस एक रुपया= मेरे दो रूपये। दोस्ती में ये फॉर्मूला कभी फेल नहीं होता लेकिन गणित ऐसे काम नहीं करता। a + b का व्होल स्क्वायर = a2 + b2+ 2ab होता है। अब ये जो एक्स्ट्रा 2ab है, ये उदहारण से प्रूव नहीं हो सकता कि हर बार हम दो संख्याओं के सम का स्क्वायर करें और देखें कि एक्स्ट्रा 2ab आया या नहीं। ये एक्स्ट्रा 2ab यूनिवर्सल सत्य है। किसी चीज को यूनिवर्सल सत्य साबित करने के लिए गणित में इक्वेशन का प्रूफ देना पड़ता है। आम तौर पर ये प्रूफ कुछ लाइन से कुछ पन्नों लम्बे होते हैं। लेकिन सोचिए 1 +1 =2 प्रूव करने के लिए कितनी लाइने लगी होंगी?
379 - लाइनें नहीं पन्ने। इस एक बात को प्रूव करने के लिए अल्फ्रेड नॉर्थ व्हाइटहेड और बर्ट्रेंड रसल को पूरी एक किताब लिखनी पड़ गई थी। किताब का नाम प्रिंसिपिया मैथमैटिका- जिसके 379 पन्ने तो इसी में खर्च हो जाते हैं कि 1 +1 =2 प्रूव किया जा सके। इस प्रसंग का जिक्र हमने इसलिए किया ताकि आपको समझ आए कि गणित कितनी पेचीदा चीज है। आज से लगभग 2500 साल पहले पाइथागोरस ने जब a² + b² = c² प्रूव किया होगा, सोचिए कितनी बड़ी बात होगी। दिलचस्प बात ये कि ऐसा करने वाले पाइथागोरस पहले व्यक्ति नहीं थे। उनसे 300 साल पहले भारत में ऋषि बौधायन ने ये सूत्र दे दिया था और कहीं-कहीं तो जिक्र आता है कि इससे भी हजार साल पहले मेसापोटामिया में इस सूत्र की खोज की जा चुकी थी।
पाइथागोरस कौन था?
पाइथागोरस का जन्म लगभग 570 ईसा पूर्व में सैमोस नाम के एक द्वीप पर हुआ था। वह सुकरात से पहले आए थे इसलिए उन्हें प्री-सोक्रेटिक फिलॉसफर कहते हैं। उनके बारे में हमें ज्यादा पता नहीं है क्योंकि उन्होंने कभी कुछ लिखा ही नहीं! जो कुछ भी हम जानते हैं, वह उनके चेलों और बाद के लिखने वालों से मिला है। कुछ स्टोरीज के मुताबिक, पाइथागोरस ने अपने युवा दिनों में खूब ट्रैवल किया। वह मिस्र और बेबीलोन गए, जहाँ उन्होंने गणित आदि विषयों की पढ़ाई की। जब पाइथागोरस लगभग 40 साल के थे, तब वह दक्षिणी इटली के क्रोटोन नाम के ग्रीक शहर में आकर बस गए। यहीं से उनकी असली हिस्ट्री शुरू होती है। क्रोटोन में पाइथागोरस ने अपने फॉलोवर्स का एक ग्रुप बनाया और अपनी टीचिंग्स और प्रचार। जैसा शुरुआत में बताया, पाइथागोरस को आज पायथागोरस थेओरम के लिए जाना जाता है। लेकिन अपने वक्त में पाइथागोरस की प्रसिद्धि का कारण गणित नहीं, तथाकथित जादू था।
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ग्रीक दार्शनिक अरस्तू ने पाइथागोरस के बारे का जिक्र करते हुए लिखा है- लोग पाइथागोरस को रहस्यमयी शक्तियों वाला तांत्रिक मानते थे। एक किस्सा है कि एक बार पाइथागोरस ओलंपिक गेम्स की स्टेज पर खड़ा हुआ और सबसे सामने अपनी जंघा खोलकर दिखाई जो सोने से बनी हुई थी। एक और स्टोरी है, जिसके अनुसार पाइथगारोस को एक ही समय पर दो स्थानों पर देखा गया। वहीं, एक कहानी में पाइथागोरस नदी को पार करते हैं तो नदी हाथ उठाकर उन्हें हेलो कहती हैं। पाइथागोरस एक मिथकीय फिगर था जिसके बारे में यहां तक कहा जाता था कि एक बार उसने एक जहरीले सांप को दांत से काटा और सांप की मौत हो गई। एक कहानी में वह एक भालू को समझाता है कि कोई किसी जीव की हत्या न करे और भालू मान जाता है।
इन तमाम मिथकीय कहानियों के चलते ही पाइथागोरस का एक कल्ट स्थापित हुआ। पाइथागोरस के फैन्स खुद को 'पाइथागोरियन' कहते थे। पाइथागोरस ने क्रोटोन में एक सीक्रेट सोसायटी बनाई थी। जिसमें दाखिल होने के लिए कठिन रिचुअल्स से गुजरना पड़ता था। उन्हें पाइथागोरस के प्रति अपनी श्रद्धा की शपथ लेने के बाद शुद्धीकरण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। इसके बाद ही वह कल्ट के मेंबर बन पाते थे। इतना ही नहीं फाइट क्लब की तरह यहां भी पहला और दूसरा रूल था। ‘यू डू नाट टॉक अबाउट पाइथागोरस सीक्रेट सोसायटी’। ग्रुप के न्यू मेंबर्स को पांच साल तक मौन व्रत धारण करना पड़ता था। आप बस सुनते थे, क्या? वो जो पाइथागोरस ने कहा है।
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पाइथागोरस कहता क्या था?
पाइथगोरस के कल्ट में दो तरह के मेंबर हुआ करते थे- 'अकुस्मातिकोई' और 'मैथेमैटिकोई'। 'अकुस्मातिकोई' यानी वे जो धार्मिक नियम फॉलो करते थे। वहीं 'मैथेमैटिकोई' फिलॉसफिकल और मैथेमैटिकल क्वेश्चन्स पर फोकस करते थे। पहले पाइथागोरस की धार्मिक शिक्षाओं की बात करते हैं। धर्म से जुडी सबसे फेमस थियोरी जिससे पाइथागोरस का नाम जोड़ा जाता है- वह थी उनकी सोल थियोरी। आत्मा शरीर से अलग है। अमर है। मौत के बाद भी ये कायम रहती है- प्राचीन ग्रीस में ये बात सबसे पहले पाइथागोरस ने कही थी। उनकी इस बात को बाद में प्लेटो, ने इसे अपने कहन में अपनाया।
पाइथागोरस पुनर्जन्म में भी यकीन रखते थे। किस्सा है कि एक बार पाइथागोरस अपने शिष्यों के साथ जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक कुत्ते को पीटा जा रहा था। पाइथागोरस ने तुरंत रुकने को कहा और बोला, "बस करो! इसे मत मारो। मैं इसकी चीख से पहचान गया हूँ, यह मेरे एक पुराने दोस्त की आत्मा है।" पाइथागोरस का मानना था कि कुछ नियम फॉलो कर व्यक्ति अच्छा पुनर्जन्महासिल कर सकता है। कौन से नियम?
-मंदिर में उलटे पांव दाखिल नहीं हो सकते
-सफ़ेद मुर्गी की बली नहीं दे सकते
-मरे हुए लोगों को ऊन के साथ नहीं दफना नहीं सकते
-जूता पहनते हुए पहले दाएं पैर में जूता पहनो
-सार्वजनिक सडकों पर चल नहीं सकते
-सबसे अजीबोंगरीब नियम जिसकी चर्चा सबसे जयदा होती है- बीन यानी सेम की फली नहीं खा सकते। बीन्स से पाइथागोरस को हद दर्ज़े की नफरत थी। फॉलोवर्स के लिए इन्हें खाने पर सख्त मनाही थी। पाइथागोरस का कहना था “बीन प्राइवेट पार्ट्स जैसे दिखते हैं”। इन अटपटे नियमों के अलावा पाइथागोरस ने कुछ ऐसी बातें भी कहीं, जैसी हम कहावतों के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। मसलन "तलवार से आग को न कुरेदें" - यानी नाजुक मसलों पर जोर जबरदस्ती नहीं करना या डोंट ब्रेक द क्राउन - यानी कानून मत तोड़ो। डोंट सिट ऑन कॉर्न- यानी आलसी मत बनो पाइथोगोरस की ये तमाम बातें धर्म और रस्मोअदायगी से रिलेटेड थी। ऐसी बातों से कल्ट तब भी बनते थे। आज भी बनते हैं। हालांकि पाइथागोरस के कल्ट का ऊरूज तैयार हुआ था गणित से।
पाइथागोरस के किस्से
विज्ञान की खातिर जेल में डाल दिए गए वैज्ञानिक, गैलीलियो ने कहा था-
“गणित ईश्वर की भाषा है। जिससे उसने ब्राह्मण को लिखा है।”
जैसा हमने एकदम शुरू में डिस्कस किया था, गणित बहुत पेचीदा विषय है। इसलिए बहुत से गणितज्ञों के साथ रहस्यवाद जुड़ गया। भारत के महान गणितज्ञ, श्रीनिवास रामानुजन इसके उदाहरण हैं। जो कहते थे कि रात को सपने में देवी उन्हें इक्वेशंस बताकर जाती है।
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इसी प्रकार पाइथागोरस ने गणित ने एक कल्ट को जन्म दिया। जो मानता था - एवरीथिंग इज़ नम्बर्स। यानी संख्या ही सब कुछ है। पाइथागोरियंस के लिए नंबर्स सिर्फ अब्सट्रैक्ट नोशन नहीं थे। नंबर पवित्र थे, दिव्य थे। पाइथागोरस की इक्वेशन मात्र एक इक्वेशन नहीं, ब्रहांड की कुंजी थी।
किस्सा है कि एक बार पाइथागोरस एक लुहार की दुकान के पास से गुजर रहे थे, जब उन्होंने हथौड़ों की आवाज़ सुनी। उन्होंने ध्यान दिया कि कुछ हथौड़े जब एक साथ बजते थे, तो सुरीला साउंड पैदा होता था। जबकि बाकियों से बेसुरी आवाज निकलती थी। इस आधार पर पाइथागोरस ने लिखा कि जब दो तार, जिनकी लम्बाई अलग अलग हो, लेकिन दोनों पर खिंचाव बराबर हो, तो उनमे से निकलने वाली साउंड तारों की लम्बाई के अनुपात पर निर्भर करती है। गिटार, सितार जैसे यंत्र इसी सिद्धांत पर काम करते हैं। अपनी इस खोज़ से पाइथागोरस का ये विश्वास और पक्का हुआ कि दुनिया में हर चीज मैथ्स से कंट्रोल होती है।
पाइथगोरस ने इस सिद्धांत को ग्रहों के ऊपर भी लागू किया। पाइथागोरियंस मानते थे कि धरती ब्रह्माण्ड के केंद्र में है। और बाकी ग्रह और सूर्य चक्कर लगाते हैं। पाइथागोरस म्यूजिक ऑफ़ स्फीयर्स की बात करते थे। उनका मानना था कि, आकाश में घूमते हुए ग्रह और तारे अपनी गति से संगीत बनाते हैं। लेकिन हम इसे सुन नहीं पाते क्योंकि ये आवाज हमारे जन्म से ही हमारे कानों में है। हम इतने आदी हो गए हैं कि हमें ये सुनाई ही नहीं देती! ये तमाम बातें सामान्य विज्ञान की बातें हैं लेकिन गणित को लेकर सनक के चलते पाइथागोरस ने इन्हें आस्था का विषय बना दिया। उनके कट्टर भक्त इन्हें ईश्वर की वाणी मानते थे। और जो इसके खिलाफ गया, वो मार तक डाला गया। जैसा हमने हिप्पासस की कहानी में बताया था।
इस कट्टर बिहेवियर के चलते पाइथागोरस फेमस तो हुए लेकिन बदनाम भी। अधिकतर इतिहासकार मानते हैं कि पाइथागोरस का मिथक गढ़ने के लिए झूठी कहानियां फैलाई गई और कई ऐसी खोजें जो दूसरों ने की थी। वे उनके नाम से चस्पा दी गई। उनके कल्ट का आतंक इतना बढ़ गया था। कि लोग परेशान हो गए। 510 BC के आसपास की बात है।
जब पाइथागोरस को आग लगा दी गई
पाइथगोरस जहां रहते थे, क्रोटोन, उसने एक पड़ोसी राज्य पर जीत दर्ज़ की। इसके बाद जनता ने तय किया कि राजधानी के बदले एक सांविधानिक गणतंत्र बनाएंगे। पाइथागोरस के समर्थकों को ये हरगिज़ मंजूर नहीं था। दो धड़ों में लड़ाई शुरू हो गई। एक रोज़ जब पाइथागोरस और उनके फॉलोवर एक ईमारत में मीटिंग कर रहे थे। लोगों ने उसे आग लगा दिया।
कहानी कहती है कि पाइथागोरस को बचाने के लिए उसके शिष्य आग के ऊपर लेट गए। ताकि पाइथागोरस उन पर चलकर बाहर निकल सके। इसके बाद पाइथागोरस क्रोटोन से भागकर इटली के एक दूसरे शहर मेटापोंटम चले गए। यहां लगभग 490 BCE में उनकी मृत्यु हो गई। पाइथागोरस की मौत कैसे हुई, इसे लेकर भी कई कहानियां हैं। एक दिलचस्प कहानी कहती है कि भागते भागते पाइथागोरस एक खेत के पास पहुंचे। आगे बढ़ने के लिए खेत क्रॉस करना जरूरी था लेकिन दिक्कत, खेत में सेम के पौधे लगे थे। लिहाजा पाइथागोरस ने आगे बढ़ने से मना कर दिया और वहीं बैठे बैठे उनकी जान चली गई। एक दूसरा किस्सा है कि उन्होंने अपने शिष्यों के साथ एक मंदिर में शरण ली। जहां 40 दिन भूखे प्यासे रहने के बाद पाइथागोरस ने प्राण त्याग दिए।
पाइथागोरस की मौत के बाद उनका कल्ट धीरे धीरे ख़त्म हो गया। हालांकि उनकी कई बातों और सिद्धातों का असर आगे आने वाले फिलॉस्फर्स पर पड़ा। मसलन अरस्तु और प्लेटो ने अपनी किताबों में कई बार पाइथागोरस का रेफरेंस दिया।
उनकी सोल थियोरी का असर ईसाइयत पर भी पड़ा। ईसाई धर्म में जो इटर्नल सोल का कांसेप्ट है, वो पाइथागोरस का ही असर है। इसके अलावा पाइथगोरस थियोरम तो है ही। विडम्बना ये कि गणित की इस फेमस इक्वेशन के चलते जिसके जरिए बच्चा बच्चा पाइथागोरस का नाम जानता है लेकिन ये भी जानता है कि असल में ये पाइथागोरस की है नहीं। सभी कल्ट्स का अंत में ऐसे ही होता है।
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