कोई यौन शोषण, कोई फेक एनकाउंटर में गया जेल; हरियाणा के 3 विवादित DGP
हरियाणा पुलिस के इतिहास में अब तक कम से कम तीन ऐसे डीजीपी रहे हैं, जो विवादित रहे हैं। ये तीनों डीजीपी किसी न किसी मामले में जेल भी गए हैं।

हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर को 'जबरन छुट्टी' पर भेज दिया गया है। चंडीगढ़ के आईपीएस वाई पूरन कुमार की सुसाइड केस में उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई है। आईपीएस वाई पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने अपने कथित सुसाइड नोट में शत्रुजीत कपूर और रोहतक के तत्कालीन एसपी नरेंद्र बिजारनिया पर जाति के आधार पर अपमानित और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। पूरन कुमार की पत्नी और आईएएस अमनीत पी. कुमार ने भी इन दोनों अफसरों पर उनके पति को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था।
इस मामले में कार्रवाई करते हुए हरियाणा सरकार ने नरेंद्र बिजारनिया का तो ट्रांसफर कर दिया। वहीं, डीजीपी शत्रुजीत कपूर को 'छुट्टी' पर भेज दिया। अब उनकी जगह 1992 बैच के आईपीएस ओमप्रकाश सिंह को कार्यकारी डीजीपी बनाया गया है।
शत्रुजीत कपूर ने 16 अगस्त 2023 को हरियाणा डीजीपी का पद संभाला था। वह इससे पहले हरियाणा सरकार के एंटी-करप्शन ब्यूरो के डीजी भी रह चुके थे। वाई. पूरन कुमार के सुसाइड केस में नाम आने से शत्रुजीत कपूर हरियाणा के विवादित और चर्चित डीजीपी की लिस्ट में शमिल हो चुके हैं। शत्रुजीत कपूर से पहले भी हरियाणा के कई डीजीपी रह चुके हैं, जो न सिर्फ विवादों में रहे हैं, बल्कि जेल भी जा चुके हैं।
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यौन शोषण के केस में सजा
हरियाणा के डीजीपी रह चुके एसपीएस राठौर को यौन शोषण के केस में सजा सुनाई गई थी। मामला 1990 में सामने आया था। उन पर आरोप लगा कि उन्होंने टेनिस खिलाड़ी रुचिका गहरोत्रा का यौन उत्पीड़न किया था। रुचिका उस वक्त 14 साल की थीं।
जानकारी के मुताबिक, 11 अगस्त 1990 को एसपीएस राठौर ने रुचिका के पिता जीसी गहरोत्रा से मुलाकात की और कहा कि वह उनकी बेटी को टेनिस की स्पेशल ट्रेनिंग देंगे। अगले दिन यानी 12 अगस्त को रुचिका अपनी सहेली आराधना के साथ टेनिस कोर्ट गई। यहां एसपीएस राठौर से उसकी मुलाकात हुई। राठौर ने आराधना से कहा कि वह अपने कोच को बुलाकर लाए। ऐसे में राठौर और रुचिका ऑफिस में अकेले रहे। तभी मौके का फायदा उठाते हुए राठौर ने रुचिका की कमर पकड़ ली और जबरदस्ती करते रहे। रुचिका ने बचने की कोशिश की लेकिन उन्होंने उसे कसकर पकड़े रखा।
रुचिका ने इसकी शिकायत की। सितंबर में इंक्वायरी रिपोर्ट में राठौर के खिलाफ FIR दर्ज करने की सिफारिश की गई थी। मगर राठौर ने अपने पद की ताकत का इस्तेमाल करते हुए ऐसा नहीं होने दिया। इस बीच शिकायत करने पर रुचिका के परिवार वालों को भी प्रताड़ित किया जाने लगा। नाबालिग के यौन शोषण के आरोपों के बावजूद अक्टूबर 1999 में एसपीएस राठौर को प्रमोट कर डीजीपी बना दिया गया।
इससे पहले ही अगस्त 1998 में हाई कोर्ट ने इस केस की जांच CBI को सौंप दी थी। नवंबर 2000 में CBI ने राठौर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसके बाद उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया। मार्च 2002 में राठौर रिटायर हो गए।
इस मामले में लगभग 20 साल बाद CBI कोर्ट का फैसला आया, जिसमें राठौर को दोषी ठहराते हुए 6 महीने की सजा सुनाई गई और 1 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। बाद में इस सजा को बढ़ाकर 18 महीने कर दिया। दिसंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी उम्र का हवाला देते हुए सजा को 18 महीने से कम कर 6 महीने कर दिया। यह सजा राठौर पहले ही काट चुके थे।
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गैंगस्टर के एनकाउंटर में सजा
अगस्त 1994 से अप्रैल 1995 तक हरियाणा के डीजीपी रह चुके लक्ष्मण दास को रिटायरमेंट के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। उन पर 1993 में गैंगस्टर जतिंदर पहल के फर्जी एनकाउंटर में शामिल होने का आरोप था।
जतिंदर पहल की मां इशवती देवी ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और आरोप लगाया था कि उनके बेटे की पुलिस हिरासत में एक फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी गई थी। हाई कोर्ट ने इस केस की जांच CBI को सौंपी थी।
रिटायरमेंट के बाद ही लक्ष्मण दास को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में उन्होंने कई महीने जेल में बिताए थे। लक्ष्मण दास ने दावा किया था कि 'एक मुख्यमंत्री उनसे अवैध काम करवाना चाहते थे, जिसे करने से उन्होंने मना कर दिया था। इस कारण उन्हें बहुत कष्ट सहना पड़ा और कुछ पुलिस अधिकारियों का उनके खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया।'
इस मामले में भी लगभग 20 साल बाद अदालत का फैसला आया। मार्च 2014 में अंबाला की CBI कोर्ट ने लक्ष्मण दास को इस मामले से बरी कर दिया।
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रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ाए थे डीजीपी
लक्ष्मण दास के बाद रमेश सहगल हरियाणा के डीजीपी बने थे। सहगल मई 1995 से नवंबर 1995 तक हरियाणा के डीजीपी रहे थे।
दिसंबर 1996 में रमेश सहगल को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। उन्हें गुड़गांव (अब गुरुग्राम) के एक कारोबारी से रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। यह रिश्वत कथित तौर पर उसकी पैरोल बढ़ाने के बदले में ली गई थी।
रमेश सहगल ने भी कुछ दिन जेल में काटे थे। दिसंबर 2000 में वह रिटायर हो गए थे। उन्होंने दावा किया था कि उनके कुछ साथी अफसरों ने जलन में उन्हें भ्रष्टाचार के झूठ मामले में फंसाया था।
दिलचस्प बात यह है कि कुछ सीनियर आईपीएस और आईएएस अफसर खुद रमेश सहगल को 'रंगे हाथ' पकड़ने के लिए चंडीगढ़ से सटे पंचकूला के सेक्टर 7 स्थित उनके घर पर गए थे। उन्हें घर से गिरफ्तार किया गया था। उनकी मौत के बाद इस केस को बंद कर दिया गया था।
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