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किसी DGP को जबरन छुट्टी पर भेजने के बाद क्या होता है?

चंडीगढ़ के आईपीएस अफसर वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में नाम सामने आने के बाद हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया गया है। जानते हैं कि डीजीपी के छुट्टी पर जाने पर क्या होता है?

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हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर। (Photo Credit: PTI)

चंडीगढ़ के आईपीएस अफसर वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में हफ्तेभर बाद बड़ा ऐक्शन हुआ है। हरियाणा सरकार ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया है। इस मामले में रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया का ट्रांसफर पहले ही किया जा चुका था। वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में शत्रुजीत कपूर और नरेंद्र बिजारनिया के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है। वाई पूरन कुमार ने अपने कथित सुसाइड नोट में इनका नाम भी लिखा था और आरोप लगाया था कि सीनियर अफसर अक्सर उन्हें जाति के आधार पर अपमानित और प्रताड़ित करते थे।


वाई पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को खुद को गोली मार ली थी। उनके पास से पुलिस को 8 पन्नों का सुसाइड नोट भी मिला था। पूरन कुमार ने चंडीगढ़ स्थित अपने घर पर खुद को गोली मारी थी। उनकी पत्नी और आईएएस अफसर अमनीत पी. कुमार ने भी शत्रुजीत कपूर और नरेंद्र बिजारनिया पर आरोप लगाया था कि इन्होंने उनके पति को जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया और अपने पद का इस्तेमाल कर साजिश के तहत फंसाया।


9 अक्टूबर को अमनीत पी. कुमार से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी मुलाकात की थी। इस दौरान भी अमनीत कुमार ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने उस वक्त साफ कर दिया था कि जब तक आरोपियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक पोस्टमार्टम नहीं होगा। इसके बाद उसी दिन शाम को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 थाने में FIR दर्ज की गई, जिसमें शत्रुजीत कपूर और नरेंद्र बिजारनिया समेत कई IAS-IPS अफसरों को आरोपी बनाया गया है।

 

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अब डीजीपी को छुट्टी पर भेजा

वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में हरियाणा की बीजेपी सरकार घिरती जा रही थी। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में 8 अफसरों का जिक्र किया था।


इस बीच सोमवार शाम हरियाणा सरकार ने बताया कि डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया गया है। सीएम नायब सिंह सैनी के मीडिया सलाहकार राजीव जेटली ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डीजीपी को छुट्टी पर भेज दिया है। 


उनकी जगह अब 1992 बैच के आईपीएस अफसर ओमप्रकाश सिंह को कार्यकारी डीजीपी नियुक्त किया गया है। ओपी सिंह इसी साल 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले हैं।


FIR दर्ज करने के बाद चंडीगढ़ पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए 6 सदस्यों की SIT बनाई है। चंडीगढ़ पुलिस ने बताया कि इस मामले की सभी एंगल से जांच की जा रही है।

 

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वाई पूरन कुमार। (Photo Credit: PTI)

मगर छुट्टी पर क्यों भेजा?

कई बार सरकार किसी सीनियर अफसर को सस्पेंड या ट्रांसफर करने की बजाय 'छुट्टी' पर भेज देती है। ऐसा आमतौर पर तब किया जाता है, तब अफसर के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हों या FIR दर्ज हो।


हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर को राज्य सरकार ने छुट्टी पर भेजा है। चूंकि, पुलिस व्यवस्था राज्य का मामला है, इसलिए इस पर फैसला राज्य सरकार करती है। छुट्टी पर भेजा जाना ट्रांसफर या सस्पेंशन से अलग होता है, क्योंकि इसे विभागीय कार्रवाई नहीं माना जाता है।


जब किसी अफसर के खिलाफ FIR दर्ज होती है तो सरकार उसे छुट्टी पर भेज सकती है। किसी अफसर को कब तक छुट्टी पर भेजा जाएगा? इसकी कोई टाइम लिमिट नहीं होती है। 

 

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डीजीपी के छुट्टी पर जाने पर क्या होता है?

किसी अफसर को जब छुट्टी पर भेजा जाता है तो उसका कार्यभार किसी दूसरे अफसर को सौंपा जाता है। इस मामले में डीजीपी शत्रुजीत कपूर की जगह आईपीएस ओपी सिंह को सौंपी गई है। उन्हें कार्यकारी डीजीपी बनाया गया है।

कब तक होता है कार्यकारी डीजीपी?

इसकी कोई समयसीमा नहीं है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस कहती हैं कि जल्द से जल्द फुल टाइम डीजीपी नियुक्त करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।


सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह मामले में डीजीपी की नियुक्ति से जुड़ीं गाइडलाइंस दी थीं। इसमें साफ कहा गया था कि कार्यकारी डीजीपी सिर्फ 'विशेष परिस्थितियों' में ही नियुक्त किया जा सकता है। 

 


सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस कहती हैं कि डीजीपी के रिटायरमेंट से कम से कम तीन महीने पहले राज्य सरकार को नए डीजीपी के लिए UPSC को नाम भेजने होते हैं, ताकि बिना किसी देरी के नए डीजीपी की नियुक्ति हो सके।


अदालत ने अपनी गाइडलाइंस में साफ किया है कि कार्यकारी डीजीपी सिर्फ 'विशेष परिस्थितियों' में ही हो सकता है। हालांकि, यह कार्यकारी डीजीपी कब तक रह सकता है? इसकी कोई समय सीमा नहीं है। गाइडलाइंस कहती हैं कि फुल टाइम डीजीपी को 'तत्काल' नियुक्त किया जाए। 


पिछले साल फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक आदेश दिया था, जिसमें साफ कहा गया था कि डीजीपी की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन किया जाए और कार्यकारी डीजीपी की नियुक्ति करने से बचा जाए।

 

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डीजीपी की नियुक्ति पर है गाइडलाइंस?

जब कोई डीजीपी रिटायर होने वाला होता है तो कम से कम तीन महीने पहले राज्य सरकार कुछ उम्मीदवारों के नाम UPSC के पैनल को भेजती है। यह नाम सीनियोरिटी, एक्सपीरियंस और सर्विस रिकॉर्ड के आधार पर तय होते हैं। इनमें से UPSC पैनल तीन नाम सुझाती है और सरकार उनमें से किसी एक को डीजीपी नियुक्त करती है।


सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस कहती है कि डीजीपी वही आईपीएस अफसर बन सकता है, जिसके पास कम से कम 30 साल की सर्विस का एक्सपीरियंस होना चाहिए। 


गाइडलाइंस यह भी कहती है कि उसी अफसर को डीजीपी नियुक्त किया जा सकता है, जिसके रिटायरमेंट में कम से कम 6 महीना बचा हो। डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल का होता है।

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