केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) मनोज अग्रवाल को Y+ श्रेणी की सुरक्षा दी है। यह फैसला चुनाव आयोग की सिफारिश के बाद लिया गया। दरअसल, राज्य में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान लगातार विरोध प्रदर्शन और आंदोलन हो रहे थे, जिसके चलते सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई थी।
SIR को लेकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) और चुनाव आयोग के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। इसी कारण CEO कार्यालय के बाहर लगातार प्रदर्शन हो रहे थे। हाल के दिनों में बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) ने भी मनोज अग्रवाल के दफ्तर के बाहर आंदोलन किया।
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क्यों दी गई Y+ श्रेणी की सुरक्षा?
SIR प्रक्रिया के दौरान BLOs के एक गुट ने लगातार CEO कार्यालय के बाहर धरना और घेराव किया। इन सब विरोध के बाद गृह मंत्रालय ने इसे संभावित खतरे के रूप में देखा। 24 नवंबर 2025 को प्रदर्शनकारियों ने बाल्मर लॉरी (Balmer Lawrie) भवन में घुसकर मनोज अग्रवाल और अन्य अधिकारियों को घेर लिया। इस घटना को चुनाव आयोग ने 'गंभीर सुरक्षा चूक' बताया।
इन प्रदर्शनों के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी उनकी गाड़ी के सामने कूदने की कोशिश भी कर चुके थे जबकि कोलकाता पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था को अपर्याप्त माना गया। इसके बाद चुनाव आयोग की सिफारिश पर गृह मंत्रालय ने Y+ सुरक्षा देने का निर्णय लिया। इसके तहत CISF के 12 जवान उनके कार्यालय की सुरक्षा करेंगे और कुछ जवान उनके साथ यात्रा के दौरान भी तैनात रहेंगे।
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राजनीतिक हमला
CEO का पद संभालने के बाद से ही मनोज अग्रवाल को TMC और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। TMC से जुड़े BLO संगठनों ने SIR के खिलाफ कई बार प्रदर्शन किए। केंद्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर उनके साथ 11–12 CISF जवान तैनात किए गए हैं। साथ ही, सुरक्षा कारणों से उनका कार्यालय शिपिंग कॉरपोरेशन भवन में शिफ्ट किया गया, जिससे आम लोगों की सीधी पहुंच सीमित हो सके। यह बदलाव 26–27 दिसंबर के आसपास लागू हो गया।
Y+ सुरक्षा क्या है?
Y+ श्रेणी की सुरक्षा में CRPF या अन्य केंद्रीय बलों के 8–10 जवान 24 घंटे तैनात रहते हैं। इसमें वाहन जांच और हर स्तर की सुरक्षा शामिल होती है। यह सुरक्षा उन अधिकारियों को दी जाती है, जिन्हें मध्यम स्तर का खतरा माना जाता है।