उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई हत्याकांड के दो मुख्य आरोपी मुठभेड़ में मारे गए। गुरुवार को यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (STF), क्राइम ब्रांच और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीम ने मुठभेड़ में राजू उर्फ रिजवान और संजय उर्फ अकील को मार गिराया। उन दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था और पिछले पांच महीनों से फरार थे। मुठभेड़ में दोनों गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गए थे और इलाज के दौरान डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।
स्थानीय पुलिस और यूपी STF ने यह कार्रवाई खुफिया जानकारी के आधार पर की थी। पुलिस अधीक्षक (SP) अंकुर अग्रवाल ने एक बयान में कहा, 'पुलिस को सूचना मिली थी कि पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई हत्याकांड मामले के शूटर हरदोई-सीतापुर बोर्डर से होकर गुजरने वाले हैं। इस पर पुलिस और STF की संयुक्त टीम उन्हें पकड़ने के लिए रवाना की गई।' उन्होंने बताया कि पिसावां थाना क्षेत्र में जब पुलिस जांच और घेराबंदी कर रही थी, उसी दौरान एक मोटरसाइकिल पर सवार दो संदिग्ध जाते दिखाई दिये। पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो रुकने के बजाय उन्होंने पुलिस पर गोलियां चलाईं। जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोली लगने से दोनों आरोपी गंभीर रूप से घायल हो गए।
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दोनों आरोपियों की मौत
इस मुठभेड़ के बाद दोनों आरोपियों को पुलिस ने जिला अस्पताल में भर्ती करवाया। अस्पताल में डॉक्टरों ने उन दोनों को मृत घोषित कर दिया। जिस जगह पर यह मुठभेड़ हुई उस जगह से पुलिस ने दो पिस्तौल और भारी मात्रा में कारतूस बरामद किया है। इस घटना के बाद पुलिस यह जांच कर रही है कि वह दोनों शूटर किन लोगों के संपर्क में थे और क्या कोई बड़ा नेटवर्क इस हत्याकांड के पीछे सक्रिय था।
कौन थे संजय तिवारी और राजू तिवारी?
संजय तिवारी उर्फ अकील और राजू तिवारी उर्फ रिजवान सीतापुर और इसके आसपास के इलाके में सक्रिय थे। इन दोनों का नाम कई क्राइम केस से जुड़ा है। दोनों प्रोफेशनल शूटर थे और स्थानीय अपराधियों के लिए काम करते थे। पत्रकार राघवेंद्र के मर्डर में सीसीटीवी फुटेज और कॉल रिकॉर्ड्स से इन दोनों की भूमिका का पता चला था। सीसीटीवी फुटेज में इन दोनों को मर्डर से ठीक पहले राघवेंद्र का पीछा करते हुए देखा गया था। दोनों मुंह पर कपड़ा बांधकर राघवेंद्र का पीछा कर रहे थे।
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क्या है पत्रकार राघवेंद्र हत्याकांड?
8 मार्च 2025 को सीतापुर के इमलिया सुल्तानपुर थाना क्षेत्र में लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाइवे पर पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बाइक सवार हमलावरों ने पहले उनकी बाइक में टक्कर मारी और फिर कंधे, सीने और सिर में तीन गोलियां दागीं। इस सनसनीखेज हत्याकांड ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था।
राघवेंद्र एक न्यूज पेपर के लिए काम करते थे और उनकी खोजी पत्रकारिता के कारण कई आपराधिक गिरोहों से उनकी दुश्मनी मानी जा रही थी। राघवेंद्र ने अपनी रिपोर्टिंग में धान खरीद घोटाले और जमीन रजिस्ट्री में धांधली जैसे मुद्दों को जनता के सामने रखा था। इसके चलते उनके और कुछ अकाउंटेंट के बीच विवाद की बात सामने आई थी। पुलिस ने हत्या के बाद चार अकाउंटेंट सहित 30 संदिग्धों को हिरासत में लिया था और 18,000 मोबाइल नंबरों की जांच की थी।
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हत्या के बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो राजू उर्फ रिजवान और संजय उर्फ अकील को मुख्य शूटर के रूप में इस केस में आरोपी बनाया गया। पुलिस लंबे समय से इन दोनों की तलाश कर रही थी लेकिन यह दोनों फरार चल रहे थे। दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम भी रखा गया था। इस घटना ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे और पत्रकार समुदाय में आक्रोश फैल गया था।