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जमीन की लड़ाई, भूख हड़ताल और हिंसा; असम के कार्बी आंगलोंग में क्या हुआ?

असम के कार्बी आंगलोंग जिले में मंगलवार को भड़की हिंसा में 2 लोगों की मौत हो गई और 45 लोग घायल हो गए। यहां हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं।

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कार्बी आंगलोंग जिले में दो गुटों में हिंसक झड़प हो गई थी। (Photo Credit: PTI)

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असम के कार्बी आंगलोंग जिले में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। दो गुटों में हुई हिंसक झड़प में 2 लोगों की मौत हो गई है। इस हिंसा में अब तक 45 लोग घायल हो चुके हैं, जिनमें 38 पुलिस वाले शामिल हैं। कार्बी आंगलोंग में आदिवासी जमीन खाली कराने की मांग को लेकर कई दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को यहां हिंसा भड़की थी और मंगलवार को और भड़क गई। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और लाठीचार्ज करना पड़ा।

 

पुलिस ने बताया कि हिंसा में 25 साल के दिव्यांग युवक सुरेश डे का शव एक जली हुई इमारत से मिला है। इस हिंसा में अथिक तिमुंग नाम के एक व्यक्ति की भी मौत हो गई है।

 

प्रदर्शनकारी आदिवासी इलाकों से अतिक्रमणकारियों को हटाने की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि वह हालात पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने इस हिंसा में हुई दो मौतों पर दुख जताया है।

 

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और बढ़ाई जाएगी सुरक्षा

सीएम हिमंता ने बताया कि कार्बी आंगलोंग में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'मैं पश्चिम कार्बी आंगलोंग में स्थिति पर करीब से नजर रख रहा हूं। आज की अशांति में दो लोगों की जान जाना बेहद दुखद है।'

 

उन्होंने कहा कि शांति बनाए रखने के लिए बुधवार को खेरानी क्षेत्र में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाएंगे।

 

 

सीएम सरमा ने कहा, 'सामान्य स्थिति बनाने और बातचीत के माध्यम से मुद्दों का हल करने के लिए हम सभी संबंधित पक्षों के निरंतर संपर्क में हैं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। सरकार सभी प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी रहेगी और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेगी।'

 

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'बम फेंक रहे, तीर चला रहे'

पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी पत्थरबाजी कर रहे हैं, बम फेंक रहे हैं और तीर चला रहे हैं। डीजीपी हरमीत सिंह ने बताया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और उन्होंने हिंसा न करने का वादा किया।

 

उन्होंने कहा, 'लेकिन वे बम फेंक रहे हैं, तीर चला रहे हैं और दुकानें जला रहे हैं... हिंसा में आईपीएस अधिकारियों समेत 38 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। एक पत्थर मेरे कंधे पर भी लगा।'

 

 

उन्होंने कहा कि अगर प्रदर्शनकारी कानून अपने हाथ में लेते हैं तो पुलिस को सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

 

डीजीपी ने सभी लोगों से अपील भी की कि वे 'गुमराह युवाओं' को समझाएं कि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता और मुख्यमंत्री ने भी कहा है कि वह उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए उनसे बातचीत करेंगे।

 

मगर हुआ क्या था?

यह हिंसा कार्बी आंगलोंग जिले के खेरोनी बाजार में भड़की। कई दिनों से यहां प्रदर्शन चल रहा था, जिसे लेकर इलाके में धारा 163 (पहले धारा 144) लागू की गई थी।

 

पुलिस ने एक अधिकारी बताया कि निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद खेरोनी बाजार इलाके में बच्चों और महिलाओं समेत बड़ी संख्या में वे लोग हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरे, जिनकी दुकानें भीड़ ने सोमवार को जला दी थीं।

 

उन्होंने बताया कि उधर आदिवासी क्षेत्र से अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने की मांग करने वाले आंदोलनकारी भी खेरोनी बाजार इलाके की सड़कों पर इकट्ठा हुए।

 

 

एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों गुटों में भारी आक्रोश था और इलाके में तैनात सुरक्षा बल उन्हें शांत करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अचानक दोनों गुटों के लोगों ने एक-दूसरे पर पथराव शुरू कर दिया, जिसमें कई प्रदर्शनकारी, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी घायल हो गए।

 

उन्होंने कहा कि हालात बेकाबू होने पर पुलिस को दोनों गुटों के प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले दागने पड़े। हालांकि, इससे पहले ही प्रदर्शनकारियों ने खेरोनी इलाके में दो मोटरसाइकिल को आग के हवाले कर दिया था।

 

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किस बात पर नाराज हैं लोग?

आदिवासी बेल्ट से अवैध रूप से रह रहे लोगों को हटाने की मांग को लेकर कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग 15 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे थे।

 

प्रदर्शनकारियों का दावा है कि प्रोफेशनल ग्रेजिंग रिजर्व (PGR) और विलेज ग्रेजिंग रिजर्व (VGR) की जमीनों पर अवैध रूप से लोग रह रहे हैं। उनका दावा है कि इनमें ज्यादातर बिहार के लोग हैं।

 

यह हड़ताल कार्बी आंगलोंग और पश्चिमी आंगलोंग जिलों में हो रही थी। असम के मंत्री रानोज पेगू ने मंगलवार को प्रदर्शनकारियों से बात की और मामला जल्द से जल्द सुलझाने का भरोसा दिलाया, जिसके बाद भूख हड़ताल वापस ले ली गई।

 

 

प्रदर्शनकारियों से बातचीत के बाद मंत्री रोनाज पेगू ने बताया, 'लोग इस बात से नाराज है कि अतिक्रमणकारी PGR और VGR जमीन पर बस रहे हैं। पिछले साल उन्हें हटाने की कोशिश की गई थी, लेकिन गुवाहाटी हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसने बेदखली प्रक्रिया पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश पारित किया।'

 

आंदोलन तब भड़क गया जब तीन लोगों की गिरफ्तारी की अफवाह फैली। सीएम सरमा ने सोमवार रात को कहा था कि ऐसी अफवाहें फैलने लगीं कि भूख हड़ताल पर बैठे तीन प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिससे आंदोलन और भड़क गया। उन्होंने कहा था, 'किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया, लेकिन उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए गुवाहाटी ले जाया गया।'

 

आरोप है कि पुलिस ने कार्बी आंगलोंग के खेरोनी इलाके में प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाने की कोशिश की, जिसके बाद झड़प हो गई।

अभी कैसे हैं हालात?

सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने कार्बी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल (KAAC) के मुख्य कार्यकारी सदस्य तुलिराम रोंगहांग के आवास और खेरोनी बाजार में लगभग 15 दुकानों में आग लगा दी।

 

 

प्रदर्शनकारियों ने खेरोनी में पुलिस स्टेशन पर भी हमला करने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने इसे नाकाम कर दिया।

 

मंगलवार को हिंसा और भड़क गई। इसके बाद कार्बी आंगलोंग और पश्चिमी आंगलोंग में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। धारा 163 भी लागू कर दी गई है। इसके अलावा नाइट कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। लोगों को शाम 5 बजे से सुबह 6 बजे तक निकलने की मनाही है।


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