दरभंगा बिहार ही नहीं मगध साम्राज्य का भी एक चर्तिच केंद्र रहा है, जो आज भी चर्चा में रहता है। दरभंगा का जिक्र प्राचीन काल, मध्यकाल और मुगल काल में आता है। इतिहास में जाने पर पता चलता है कि प्राचीन काल में दरभंगा मौर्य, शुंग और गुप्त साम्राज्यों के अधीन था। 13वीं और 15वीं शताब्दी के बीच, यह दरभंगा ओइनवारा राजवंश के अधीन था। माना जाता है कि मुगल काल में दरभंगा की स्थापना दरभंगी खान नाम के ब्राह्मण ने की थी, जिसने बाद में इस्लाम धर्म अपना लिया था।

 

वर्तमान में दरभंगा बिहार का एक संभाग है, जिसमें मधुबनी और समस्तीपुर जिले आते हैं। 1972 में, पुराने दरभंगा जिले से अलग करके मधुबनी जिले को बनाया गया था। 10 विधानसभा सीटों वाले इस जिले की अहमियत बिहार में काफी मानी जाती है। कुल 10 विधानसभा सीटों वाला दरभंगा राज्य की राजनीति के लिहाज से नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (NDA) का मजबूत गढ़ बन गया है। जिले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ज्यादातर सीटों पर चुनाव काफी समय से जीत रही है। 2020 में भी यही हुआ था और दरभंगा की कुल 10 में 7 सीटों पर NDA को जीत मिली थी। इसमें तीन जेडीयू और चार बीजेपी ने जीती थी। दी सीटें वीआईपी और एक पर आरजेडी ने जीत हासिल की थी।

 

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दरभंगा मिथिला क्षेत्र का केंद्र

दरभंगा मिथिला क्षेत्र का केंद्र माना जाता है। यह जिला एक समृद्ध और ऐतिहासिक अतीत समेटे हुए है क्योंकि यह मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी भी है, जो इसकी समृद्ध परंपराओं, कला और संगीत को दर्शाती है। दरभंगा राज की राजधानी होने के नाते, यह मैथिल संस्कृति और भाषा का केंद्र रहा। आज भी, यह अपनी शिक्षा और संस्कृति के लिए जाना जाता है।

 

दरभंगा राज के अंतिम शासक महाराजधिराज कामेश्वर सिंह थे, जो अपने समय के भारत के सबसे धनी लोगों में से एक थे। उनके पास अरबों रुपये का साम्राज्य था। इस राज के राजाओं ने दरभंगा में कई भव्य महल, मंदिर और भवन बनवाए हैं, जो आज भी शहर की शोभा बढ़ाते हैं। नवरत्न पैलेस, रामबाग पैलेस और आनंदबाग भवन इनमें से कुछ प्रमुख हैं। वर्तमान समय में दरभंगा, पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर के बाद चौथा सबसे बड़ा शहर है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय यहीं होने के कारण बिहार के कोने-कोने से छात्र यहां पढ़ने और सरकारी नौकरियों की तैयारी करने के लिए आते हैं।

राजनीतिक समीकरण

इस जिले की 10 विधानसभा सीटें दरभंगा लोकसभा में आती हैं। 10 में से 4 सीटों पर बीजेपी की पकड़ ऐसी हो गई है कि इस बार माना जा रहा है कि जेडीयू की मदद से भगवा पार्टी जीत का सिलसिला बरकरार रख सकती है। 2024 का लोकसभा चुनाव भी बीजेपी के खाते में आई थी और यहां से गोपाल जी ठाकुर सांसद बने थे। इस जीत में बीजेपी-जेडीयू से बना एनडीए की अहम भूमिका रही। कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की बड़ी वजह है कि दरभंगा में वह अपना प्रदर्शन सुधार नहीं पा रही है। हालांकि, दरभंगा ग्रामीण विधानसभा में आरजेडी लगातार 20 सालों से अजेय है। यहां राजद के ललित कुमार यादव 2010 से ही पार्टी के विधायक हैं। इसके अलावा अलीनगर सीट पर सुकेश सहनी की वीआईपी के उम्मीदवार को जीत हासिल हुई थी।

 

दरभंगा विधानसभा में बीजेपी लगातार चार बार, जाले में लगातार दो बार, केवटी, हयाघट में 2020 में जीती थी। वहीं, जेडीयू कुशेश्वर स्थान और बेनीपुर में लगातार 2015 से और बहादुरपुर 2020 में जीत हासिल की थी।

 

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विधानसभा सीटें:-

दरभंगा: दरभंगा विधानसभा सीट पर 2020 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीत दर्ज की थी। इस सीट पर 2005 से ही बीजेपी का कब्जा है। संजय सरावगी यहां से लगातार पांच बार से बीजेपी के विधायक हैं। 2020 के चुनाव में संजय सरावगी ने आरजेडी के अमरनाथ गामी को हराया था।

 

हायाघाट: दरभंगा सीट पर 2020 में बीजेपी के रामचंद्र प्रसाद सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने आरजेडी के भोला यादव को हराया था। दोनों के बीच हार का अंतर 10,252 मतों का था।

 

बहादुरपुर: बहादुरपुर विधानसभा सीट पर 2020 में जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने जीत दर्ज की थी। जेडीयू के मदन सहनी ने आरजेडी के रमेश चौधरी को करीबी मुकाबले में हराया था। हार का अंतर महज 2,629 का था। जेडीयू के मदन सहनी ने 38.5 फीसदी वोट पाते हुए 68,538 वोट हासिल किया था, जबकि रमेश चौधरी को 65,909 वोट मिले।

 

केवटी: केवटी विधानसभा सीट पर 2020 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी के मुरारी मोहन झा ने आरजेडी के दिग्गज नेता और पार्टी महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी को हराया था। हार का अंतर 5,126 वोटों का था। बीजेपी के मुरारी मोहन झा ने 46.75 फीसदी वोट पाते हुए 76,372 वोट हासिल किए थे, जबकि अब्दुल बारी सिद्दीकी को 71,246 वोट मिले।

 

जाले: जाले विधानसभा सीट पर 2020 में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हुआ था। इसमें बीजेपी के जीवेश मिश्रा ने कांग्रेस के मस्कूर उस्मानी को हराया था। जीवेश मिश्रा को 87,376 वोट मिले और मस्कूर उस्मानी को 65,580 वोट मिले।

 

बेनीपुर: बेनीपुर सीट पर 2020 में जेडीयू ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। जेडीयू से बिनय कुमार चौधरी ने कांग्रेस के मिथिलेश कुमार चौधरी को हराया था। हार का अंतर 6,590 वोटों का था।

 

कुशेश्वर अस्थान: कुशेश्वर अस्थान सीट पर भी 2020 में जनता दल यूनाइटेड ने जीत दर्ज की थी। में जेडीयू से शशि भूषण हाजरी ने कांग्रेस के अशोक कुमार को हराया था। हार का अंतर 7,222 वोटों का था। जेडीयू के शशि भूषण हाजरी ने 39.55 फीसदी वोट पाते हुए 53,980 वोट हासिल किया था, जबकि अशोक कुमार को 46,758 वोट मिले।

 

अलीनगर: अलीनगर विधानसभा सीट पर 2020 में विकासशील इंसान पार्टी ने जीत दर्ज की थी। वीआईपी का 2020 में बीजेपी के साथ गठबंधन था। आरजेडी दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में वीआईपी के मिश्री लाल यादव ने आरजेडी के बिनोद मिश्रा के करीबी मुकाबले में हरा दिया था। हार का अंतर 3,101 वोटों का था। हालांकि, मार्च 2022 में वीआईपी के एनडीए से अलग होने के बाद मिश्री लाल यादव बीजेपी में शामिल हो गए थे।

 

गौरा बौराम: 2020 में जब जेडीयू ने NDA में वापसी की तो गठबंधन में शामिल मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी ने गौरा बौराम से चुनाव जीता। VIP की स्वर्णा सिंह ने आरजेडी के अफजल अली खान को हराया था। हालांकि, मई 2022 में VIP की स्वर्णा सिंह बीजेपी में शामिल हो गईं।

 

दरभंगा ग्रामीण: दरभंगा ग्रामीण पर 2020 में राष्ट्रीय जनता दल ने जीत दर्ज की थी। जेडीयू दूसरे नंबर पर रही थी। आरजेडी से ललित कुमार यादव ने जेडीयू के फराज फातमी को करीबी मुकाबले में हराया था। हार का अंतर 2,141 वोटों का था। इस सीच पर आरजेडी के ललित कुमार यादव लगातार तीन बार से विधायक हैं।

जिले की प्रोफाइल

लगभग 40 लाख की आबादी वाले दरभंगा 18 तालुका, 324 ग्राम पंचायतें, एक नजर निगम और 18 सर्कल हैं। जिले में 37 पुलिस स्टेशन हैं, जो दरभंगा की कानून-व्यवस्था संभालते हैं। 2279 Sq किलोमीटर में फैला यह जिला बिहार के सबसे बड़े जिलों में से एक है। यहां की साक्षारता दर 44 फीसदी है। जिले में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की जनसंख्या 910 है। दरभंगा का जनसंख्या घनत्व 1101 प्रति वर्ग किलोमीटर है।

 

कुल सीटें-10

मौजूदा स्थिति-

BJP-6

JDU-3

RJD-1