भोजपुर: जिले में महागठबंधन की पकड़ मजबूत, क्या बढ़त बना पाएगा NDA?
भोजपुर जिले में आने वाली 7 विधानसभा सीटों में से चार सीटों पर महागठबंधन के विधायक हैं। जिन तीन सीटों पर एनडीए ने जीती हैं उनपर उसे मामूली बढ़त के साथ जीत मिली थी।

भोजपुर जिला। Photo Credit- Khabargaon
भोजपुर जिला बिहार के 38 जिलों में से एक है। भोजपुरी भाषी वाला यह क्षेत्र एक घनी आबादी वाला जिला है। इस क्षेत्र में लोकगीत बेहद प्रसिद्ध हैं और भोजपुरी यहां की क्षेत्रीय भाषा है। यहां की संस्कृति और विरासत समृद्ध है। जिले को सन 1857 के बाद की एक घटनापूर्ण को लेकर जाना जाता है। उस समय वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था। 7 विधानसीटों वाले भोजपुर में महागठबंधन काफी मजबूत है। सात सीटों में से 4 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है, जबकि एनडीए के पास तीन सीटें हैं। एनडीए ने जो 3 सीटें जीती हैं वह मालूली वोटों के अंतर से जीती हैं।
भोजपुर में सूर्य मंदिर, वीर कुंवर सिंह किला-जगदीशपुर, शाही मस्जिद, करबला मैदान, मौलाबाग मस्जिद, अरण्य देवी मंदिर, चतुरवज नारायण मंदिर, भवानी मंदिर, जगदंबा मंदिर, परस्वनाथ मंदिर, महामाया मंदिर, जैन सिधांत भवन, पैहारी जी आश्रम, कुर्वा शिव, वेंकटेश मंदिर, शाही जामा मस्जिद, लकर सहर किजार जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
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भोजपुर जिले का इतिहास
भोजपुर जिले का इतिहास 1972 से शुरू होता है, जब शाहाबाद जिले के काटकर भोजपुर और रोहतास में बांट दिया गया था। साल 1972 तक शाहाबाद एक जिला हुआ करता था जिसका मुख्यालय आरा में था लेकिन बाद में इसके आधे हिस्से को काटकर रोहतास में और आधे हिस्से को भोजपुर में मिला दिया गया। बक्सर तब भोजपुर का एक सब डिवीजन था। सन 1992 मे भोजपुर को दोबारा से बांटा गया, जिसके बाद बक्सर जिले को एक स्वतंत्र जिला बनाया गया।
भोजपुर जिले के तीन सब डिवीजन हैं - आरा सदर, जगदीशपुर और पीरो। आरा शहर भोजपुर का प्रमुख शहर और जिला मुख्यालय है। आरा शहर को प्रचीन काल में अरण्य या जंगल कहा जाता था। पहले आज के आरा के पूर्व क्षेत्र में एक घनघोर जंगल था। एक मिथक के मुताबिक भगवान राम के गुरु आचार्य विश्वामित्र का आश्रम इसी क्षेत्र मे कही था।
राजनीतिक समीकरण
इस जिले की 7 विधानसभा सीटों पर आरजेडी और CPI-ML की मजबूत पकड़ है। सात विधानसभा सीटों में से महागठबंधन के हिस्से में 4 सीटें हैं। इसके अलावा 3 सीटें बीजेपी के पास हैं। जिन तीनों सीटों को बीजेपी ने जीता है वह काफी कम अंतर से जीती हुई हैं। इसमें से शाहपुर, जगदीशपुर और संदेश राष्ट्रीय जनता दल के पास। अगिआंव CPI-ML के पास हैं। वहीं, तरारी, आरा और बड़हारा विधानसभा सीटें बीजेपी ने मामूली अंतर से जीती थीं।
इसमें शाहपुर सीट पर आरजेडी लगातार दो बार से जीत दर्ज कर रही है। राहुल तिवारी यहां से विधायक हैं। जगदीशपुर पर आरजेडी लगातार तीन बार से जीत रही है। इस सीट पर आरजेडी 2010, 2015 और 2020 में जीती। वहीं, संदेश विधानसभा सीट पर भी आरजेडी ने 2015 और 2020 में जीत दर्ज की। अगिआंव में CPI-ML ने 2020 में जीत दर्ज की। इसके अलावा तरारी और बड़हारा विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने 2020 में पहली बार जीत दर्ज की थी। आरा में बीजेपी मजबूत मानी जाती है।
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विधानसभा सीटें:-
शाहपुर: शाहपुर सीट पारंपरिक रूप से समाजवादी दलों और कांग्रेस के पास रही है। यहां 2005 और 2010 में बीजेपी भी जीत चुकी है। मगर, 2015 और 2020 में आरजेडी के राहुल तिवारी ने बीजेपी का कमल शाहपुर में नहीं खिलने दिया है। विधायक राहुल ने पिछले चुनाव में बीजेपी की मुन्नी देवी को 43,038 वोटों से हराया था।
जगदीशपुर: जगदीशपुर 1995 के बाद से समाजवादी दलों का गढ़ रही है। 1995 में जनता दल, 2000 में समता पार्टी और 2005 में जेडीयू ने जगदीशपुर में जीत दर्ज की थी। मगर, 2010 से लेकर अभी तक जगदीशपुर पर आरजेडी ने अपनी एकाधिकार जमा लिया है। 2010 में दिनेश कुमार यादव और 2015-2020 में राम विष्णु यादव यहां से आरजेडी के विधायक रहे हैं।
संदेश: संदेश विधानसभा सीट पर 2020 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने जीत दर्ज की थी। जनता दल यूनाइटेड (JDU) दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में आरजेडी से किरण देवी यादव ने जेडीयू के विरेंद्र यादव को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 50,607 वोटों का था। आरजेडी की किरण देवी ने 51.54 फीसदी वोट पाते हुए 79,599 वोट हासिल किया था, जबकि विरेंद्र यादव को मात्र 28,992 वोट ही मिले।
अगिआंव: अगिआंव सीट पर 2020 में CPI-ML ने जीत दर्ज की थी। जेडीयू दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में भाकपा माले के मनोज मंजिल ने जेडीयू के प्रभुनाथ प्रसाद को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 48,550 वोटों का था। माले के मनोज मंजिल ने 61.39 फीसदी वोट पाते हुए 86,327 वोट हासिल किया था, जबकि प्रभुनाथ प्रसाद को 37,777 वोट ही मिले। इससे पहले 2010 में यहां से बीजेपी और 2015 में जेडीयू ने जीत दर्ज की थी।
तरारी: साल 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से CPI (ML) से सुदामा प्रसाद को जीत मिली थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में सुदामा प्रसाद ने विधायक पद से इस्तीफा दिया था। वह आरा से लोकसभा सांसद हैं। उनके जाने के बाद 2024 उपचुनाव हुए, जिसमें लेफ्ट ने यह सीट गंवा दी और भारतीय जनता पार्टी के युवा प्रत्याशी विशाल प्रशांत ने यह सीट अपने नाम कर ली। तरारी में सबसे पहली 2010 में चुनाव हुए थे। पहले चुनाव में जेडीयू ने दर्ज की थी, जबकि 2015 और 2020 में CPI-ML के सुदामा प्रसाद जीत हासिल की थी।
आरा: आरा विधानसभा सीट पर 2020 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। CPI-ML दूसरे दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में बीजेपी से इस इलाके ने दिग्गज नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह ने CPI-ML के कयामुद्दीन असारी को करीबी मुकाबले में हराया था। हार का अंतर महज 3,002 वोटों का था। बीजेपी के अमरेंद्र प्रताप ने 45.05 फीसदी वोट पाते हुए 71,781 हासिल किया था, जबकि कयामुद्दीन असारी को 68,779 वोट मिले थे। अमरेंद्र इससे पहले 2000 से लेकर 2010 तक लगातार बीजेपी को यह सीट जीताते रहे हैं।
बड़हारा: बड़हारा विधानसभा पर 2020 में बीजेपी ने जीती थी। आरजेडी दूसरे नंबर पर रही थी। बीजेपी उम्मीदवार राघवेंद्र प्रताप सिंह ने आरजेडी की पूर्व विधायक सरोज यादव को करीबी मुकाबले में हराया था। हार का अंतर 4,980 वोटों का था। बीजेपी के राघवेंद्र प्रताप ने 46.15 फीसदी वोट पाते हुए 76,182 वोट हासिल किया था, जबकि सरोज यादव को 71,209 वोट मिले थे। राघवेंद्र प्रताप इससे पहले 2010 में आरजेडी के टिकट पर विधायक थे।
कुल सीटें-7
RJD- 3
CPI-1
BJP-3
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