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'मुल्लाओं को जाना होगा', क्या ईरान में ट्रंप ने कर दिया खेला?

ईरान में 4 दिन से बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई के खिलाफ भी नारेबाजी कर रहे हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

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ईरान में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। महंगाई और गिरती करंसी को लेकर वहां रविवार से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। ये विरोध प्रदर्शन रविवार को तब शुरू हुए जब राजधानी तेहरान के ग्रैंड बाजार में दुकानदारों ने हड़ताल कर दी, क्योंकि खुले मार्केट में ईरानी रियाल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था। तेहरान के बाद करज, हमादान, केशम, मलार्ड, इस्फहान, करमानशाह, शिराज और यज्द शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं।

 

प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश में पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल भी कर रही है। सरकार का कहना है कि वह प्रदर्शनकारियों की मांगों को सुनने के लिए तैयार है।

 

2022 में महसा अमीनी की मौत के बाद ईरान में प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद ईरान में यह बड़ा विरोध प्रदर्शन है। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान और सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई के खिलाफ नारेबाजी कर रही है।

 

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'मुल्लाओं को जाना होगा' जैसे लग रहे नारे

महंगाई और कमजोर करंसी को लेकर शुरू हुए ये प्रदर्शन अब वहां की सत्ता के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। कॉलेज-यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र भी इन प्रदर्शनों में शामिल हो गए हैं।

 

ईरानी-अमेरिकी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'ईरान से कई वीडियो आ रहे हैं, जिनमें लोग सड़कों पर एक साथ 'मुल्लाओं को ईरान छोड़ना होगा' और 'तानाशाही मुर्दाबादी' नारे लगाते दिख रहे हैं। यह उन लोगों की आवाज है जो इस्लामिक रिपब्लिक नहीं चाहते।'

 

सोशल मीडिया पर ईरान के विरोध प्रदर्शनों के ढेरों वीडियो सामने आए हैं। मसीह अलीनेजाद ने ऐसे ही एक वीडियो को शेयर किया है, जिसे उन्हें एक ईरानी युवा ने भेजा है। उन्होंने लिखा, 'ईरान के एक युवा ने मुझे ये वीडियो इस मैसेज के साथ भेजा- इन्हें फिल्माते समय मैं बहुत डरा हुआ था। इसे शेयर करें और दुनिया को दिखाएं कि हम ईरान के लोग यह शासन नहीं चाहते।'

 

ईरान के कई शहरों में हो रहे इन प्रदर्शनों में महिलाएं भी शामिल हो गईं हैं। मसीह अलीनेजाद ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'आज ईरानी महिलाएं भी इस विद्रोह में शामिल हो गईं। एक महिला अगुवाई कर रही है, बाकि सब उसका साथ दे रही हैं। 'डरो मत, हम सब साथ हैं' के नारे लग रहे हैं। जब करेंसी गिरती है तो उसके साथ झूठ भी गिर जाते हैं।'

 

इन प्रदर्शनों के कई ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिनमें ईरानी सुरक्षाबल और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी दिख रही हैं। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं।

 

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ईरान में हो क्या गया?

ईरान की करंसी लगातार गिर रही है। मसीह अलीनेजाद ने एक पोस्ट में लिखा, 'हम अभी ईरान में जो देख रहे हैं, वह सिर्फ अलग-थलग आर्थिक विरोध नहीं है। यह इस्लामिक रिपब्लिक के लिए गंभीर चुनौती है। इसका कारण आर्थिक संकट है। 2018 से ईरान की करंसी की कीमत लगभग 90% तक गिर गई है।'

 

उन्होंने दावा किया कि ईरान की करंसी गिर रही है, महंगाई बढ़ रही, मिडिल क्लास बर्बाद हो रहा है और इन सबकी वजह वहां की सत्ता है।

 

उन्होंने कहा, 'युवाओं में बेरोजगारी बहुत ज्यादा है। डिग्री वालों को भी नौकरी नहीं मिल रही है और अब गरीबी में जी रही है। मिडिल क्लास असल में खत्म हो गया है। आम लोग रोटी खरीदने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। बड़े अफसरों के परिवार तेल टर्मिनलों, तेल टैंकरों और बड़े साम्राज्यों को कंट्रोल करते हैं। इसलिए दुकानदार और फैक्ट्री मालिक समझते हैं कि उनकी आर्थिक परेशानी कोई अचानक नहीं आई है। ये दशकों के सिस्टमैटिक भ्रष्टाचार का नतीजा है। ईरान के प्रदर्शनकारी बहुत साफ हैं- इस संकट की जड़ एक ही है और वह खुद इस्लामिक रिपब्लिक है।'

 

सरकार कह रही है कि वह प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए तैयार है। सरकार की इस पहल को सिर्फ 'खोखला वादा' बताया जा रहा है।

 

दावा किया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी भी सुरक्षाबलों से बात कर रहे हैं और उनसे भी विद्रोह में शामिल होने को कह रहे हैं। मसीह अलीनेजाद ने लिखा, 'प्रदर्शनकारी सीधे सुरक्षाबलों से बात कर रहे हैं। एक प्रदर्शनकारी एक जवान से कहता है कि तुम भी महंगाई से परेशान हो, तुम्हारी सैलरी भी बेकार तो तुम हम पर गोली क्यों चला रहे हो? हमने कुछ सुरक्षाबलों को प्रदर्शनकारियों से भागते हुए भी देखा है। यह मायने रखता है। प्रदर्शनकारी सुरक्षाबलों से उनके साथ शामिल होने की अपील कर रहे हैं।'

 

उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर फेल है। सरकार ने तो आर्थिक स्थिरता दी और न ही सुरक्षा। सरकार ने अपने लोगों की जिंदगी से ज्यादा विचारधारा, युद्ध और अपने एजेंटों को फंडिंग को अहमियत दी है।

 

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क्या फिर राजतंत्र लौटेगा?

ईरान में सड़कों पर सरकार विरोधी नारे लग रहे हैं। सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई के खिलाफ भी नारेबाजी हो रही है। इस बीच प्रदर्शनकारियों को ईरान के पूर्व शासक रेजा पहलवी का समर्थन भी मिल गया है।

 

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ प्रदर्शनकारी शाह महमूद रेजा पहलवी के समर्थन में 'शाह अमर रहे' जैसे नारे लगा रहे हैं। साल 1979 की इस्लामिक क्रांति में शाह महमूद रजा पहलवी को हटा दिया गया था। अब उनके बेटे रजा पहलवी अमेरिका में रह रहे हैं।

 

रजा पहलवी ने X पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, 'सड़कों पर उतरे लोगों को मेरा सलाम। जब तक यह सरकार सत्ता में रहेगी, देश की आर्थिक स्थिति खराब होती रहेगी। आज ज्यादा एकजुटता दिखाने का समय है।'

 

उन्होंने कहा, 'मैं सभी से अपील करता हूं कि सड़कों पर उतरें और इस सिस्टम को गिराने की आवाज उठाएं। सुरक्षाबलों और पुलिस से मैं कहना चाहता हूं कि यह सिस्टम गिर रहा है। लोगों के खिलाफ खड़े न हों। लोगों के साथ शामिल हों। हम जीतेंगे क्योंकि सच्चाई हमारे साथ है। हम एकजुट हैं। हमारी आवाज एक है।'

 

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क्या अमेरिका का है हाथ?

ईरान में हो रहे प्रदर्शनों को अमेरिका का साथ भी मिल गया है। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के एक X अकाउंट पर वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसमें इन प्रदर्शनकारियों के प्रति समर्थन जताया गया है।

 

स्टेट डिपार्टमेंट का कहना है कि अमेरिका उनके साहस की तारीफ करता है और सालों की नाकाम नीतियों और इकॉनमिक मिसमैनेजमेंट के बाद बेहतर भविष्य चाहने वालों के साथ खड़ा है।

 

पोस्ट में लिखा गया है, 'गिरती करंसी के बाद सैकड़ों लोग तेहरान के ग्रैंड बाजार में इकट्ठा हुए। हिंसा और सुरक्षाबलों की भारी मौजूदगी के बावजूद बहादुर ईरानी अपनी आवाज उठाना और विरोध प्रदर्शन करना जारी रखे हुएहैं। इस्लामिक रिपब्लिक सरकार को ईरानी लोगों के मौलिक अधिकारों को सम्मान करना चाहिए और उनकी आवाज को दबाने के बजाय उनकी जायज मांगों का जवाब देना चाहिए। अमेरिका ईरानी लोगों की अपनी आवाज उठाने की कोशिशों का समर्थन करता है।'

 

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में फ्लोरिडा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच हुई बैठक में ईरान पर चर्चा हुई थी। दोनों की बातचीत के एजेंडे में ईरान सबसे ऊपर था।

 

बाद में जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने ईरान में सत्ता परिवर्तन का समर्थन करने की बात से तो इनकार कर दिया लेकिन यह जरूर कहा कि 'उनके पास बहुत सारी समस्याएं हैं। बहुत ज्यादा महंगाई है। उनकी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है। मुझे पता है कि लोग ज्यादा खुश नहीं हैं।'

 

 

उन्होंने यह भी कहा था कि अगर ईरान अपने बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू करता है तो वह ईरान पर इजरायल के हमलों का समर्थन करेंगे। जून में इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया था और दोनों के बीच 12 दिन तक हवाई हमले होते रहे थे।

 

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पेजेश्कियान बोले- बातचीत के लिए तैयार

ईरान में चार दिन से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने कहा कि वह प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए तैयार हैं।

 

उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए कहा कि उन्होंने गृह मंत्री को प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों से बात करने को कहा है, ताकि समस्याओं को हल करने और जिम्मेदारी से काम करने के लिए कदम उठाए जा सकें।

 

 

उन्होंने ईरान के सेंट्रल बैंक के गवर्नर मोहम्मद रेजा फर्जीन का इस्तीफा भी मंज़ूर कर लिया और उनकी जगह पूर्व वित्त मंत्री अब्दोलनासेर हेम्मती को नियुक्त किया है।


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