क्या गलतियां करते हैं लोग कि बढ़ जाता है माइग्रेन? न्यूरोलॉजिस्ट से समझिए
कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जिन्हें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर ठीक किया जा सकता है। इन्हीं बीमारियों में से एक माइग्रेन भी है। न्यूरोलॉजिस्ट इस पर क्या कहते हैं, आइए जानते हैं।

माइग्रेन। AI इमेज। Photo Credit: Sora
माइग्रेन को अक्सर लोग सामान्य सिरदर्द समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसकी जद में करोड़ों लोग हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन, अमेरिका की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत माइग्रेन से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। महिलाओं और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग ज्यादा इस बीमारी से परेशान हैं।
माइग्रेन रोगियों में अचानक तेज सिरदर्द शुरू होता है, सिर पकड़कर बैठ जाते हैं। बेचैनी होती है, कई बार लोगों को हल्की सी रोशनी तक बर्दाश्त नहीं होती है। यह क्यों ट्रिगर करता है, अचानक लोग इसकी वजह से परेशान क्यों होते हैं, इसके ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर क्या सलाह देते हैं, आइए समझते हैं
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माइग्रेन के लक्षण क्या हैं?
आयशा हेल्थ क्लीनिक के चीफ डॉक्टर शाहिद अख्तर बताते हैं कि माइग्रेन रोगियो में अचानक सिर के एक तरफ तेज दर्द शुरू होता है। ऐसा लगता है कि नस फड़क रही हो। जी मिचलाना, उल्टी आना, रोशनी से चिढ़ होना, थकान, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा और धुंधला नजर आना भी लक्षण हैं। कुछ लोगों को लगता है कि उनकी आंखों के आगे लकीरें बन रहीं हों, शरीर में झुनझुनी शुरू होती है, चक्कर आने लगता है। लोग थकान, नींद की समस्या और मूड स्विंग्स से भी जूझते हैं। बच्चों में यही परेशानियां नजर आती हैं।
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डॉ. डेविड डोडिक, हेडेक एक्सपर्ट:-
माइग्रेन एक क्रॉनिक पैरॉक्सिज्मल न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें मल्टीफेज अटैक्स ऑफ हेड पेन और न्यूरोलॉजिकल लक्षण नजर आते हैं। इन्हें नजरअंदाज करना, किसी गंभीर बीमारी को दावत देने जैसा है।
माइग्रेन क्यों होता है और किसे ज्यादा खतरा?
डॉ. शाहिद अख्तर ने माइग्रेन पर कहा, 'यह आनुवंशिक बीमारी भी है। अगर परिवार में किसी को है तो आपको होने की आशंका ज्यादा है। महिलाओं में पुरुषों से तीन गुना ज्यादा मामले दिखते हैं। पीरियड्स, प्रेग्नेंसी या मेनोपॉज के वक्त हार्मोनल बदलाव की वजह से लोग इससे कई बार गंभीर रूप से परेशान रहते हैं।
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अचानक क्यों बढ़ जाता है माइग्रेन?
- तनाव या ज्यादा काम का बोझ
- नींद की कमी या ज्यादा नींद लेना
- लंबे वक्त तक भूखे रहना, नाश्ता या डिनर मिस करना
- कुछ लोगों को किसी चीज के खाने से होता है
- तेज रोशनी, आवाज या मौसम संबंधित बदलाव की वजह से
- कुछ दवाएं, ड्रग और एडिक्शन की वजह
डॉ. अमाल स्टार्लिंग, हेडेक एक्सपर्ट,न्यूरोलॉजिस्ट:-
माइग्रेन महज तेज सिरदर्द नहीं है बल्कि यह हमारे दिमाग के काम करने के सभी तरीकों को प्रभावित करता है। जिस व्यक्ति को माइग्रेन का दौरा पड़ता है, उसका इलाज केवल एस्पिरिन लेने से नहीं होता। माइग्रेन का दौरा पड़ने से इतना दर्द होता है कि दिमाग के काम करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है।
माइग्रेन का क्या इलाज करते हैं डॉक्टर?
डॉ. रोहित गुप्ता, न्यूरोलॉजिस्ट:-
पेशेंट की फैमिली हिस्ट्री, EEG, MRI और हेडेक डायरी जैसे टूल्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। हर मरीज के लिए अलग-अलग प्लान तैयार किया जा रहा है। माइग्रेन का अटैक कैसे होता है, कितना असरदार होता है, कब-कब उभरता है, इसे भी ट्रेस किया जाता है। पारंपरिक दवाओं के साथ-साथ बोटॉक्स, न्यूरोमॉड्यूलेशन डिवाइस और डाइट-बिहेवियर थेरेपी दी जाती है। तनाव, हार्मोनल बदलाव, भूख-प्यास, खराब नींद, मौसम और स्क्रीन टाइम जैसे ट्रिगर्स की पहचान की जाती है।
कब माइग्रेन पर अलर्ट होने की जरूरत होती है?
डॉ. रोहित गुप्ता बताते हैं, 'अगर महीने में 4 से ज्यादा बार माइग्रेन का अटैक हो रहा है, हर दिन आप इसकी वजह से परेशान होते हैं, परिवार में कोई पीड़ित है तो तत्काल डॉक्टर से मिल लेना चाहिए।'
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क्या पूरी तरह से ठीक हो सकता है माइग्रेन?
डॉक्टर शाहिद अख्तर बताते हैं, 'माइग्रेन का पूरा इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। कई बार पेनकिलर, ट्रिप्टान दवाइयां और नेजल स्प्रे आम तौर पर राहत देते हैं। कई बार लोगों को बॉटॉक्स इंजेक्शन या नई कैल्सीटोनिन जीन-संबंधित पेप्टाइड (CGRP) दवाइयां दी जाती हैं।'
घरेलू नुस्खे जो मदद करते हैं
डॉ. शाहिद अख्तर बताते हैं कि अगर नियमित नींद ली जाए तो तनाव कम किया जा सकता है। संतुलित खाना, योग और तनाव से बचना चाहिए। माइग्रेन से पीड़ित लोग अक्सर डिप्रेशन या नींद की समस्या भी झेलते हैं। अगर आपको बार-बार ऐसा दर्द होता है, तो डॉक्टर से जरूर मिलें। सही इलाज से जिंदगी आसान हो सकती है।
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माइग्रेन के लोगों को क्या नहीं करना चाहिए?
डॉ. शाहिद अख्तर ने कहा, 'माइग्रेन के मरीजों को ट्रिगर्स से बचना चाहिए। तनाव बढ़ाने वाली स्थितियों से दूर रहें। नियमित नींद लें। कम या ज्यादा सोने से बचें। अगर आप अनियमित खाना खाते हैं, शराब पीते हैं, ज्यादा कैफीन और चॉकलेट खाते हैं तो यह आपको ट्रिगर कर सकता है। पुराना पनीर, प्रोसेस्ड मीट, चॉकलेट और पैकेज्ड फूड से बचना चाहिए। तेज रोशनी, जोरदार आवाजें और तेज स्मेल वाली जगहों से बचिए। माइग्रेन पेशेंट को ज्यादा पानी पीना चाहिए। तनाव से बचना चाहिए।'
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