शहद, गुड़, ब्राउन शुगर फायदेमंद चीनी खराब? लिवर के डॉक्टर ने बताई सच्चाई
आपने यह बात अक्सर सुनी होगी कि चीनी छोड़ दो, गुड़ और शहद ज्यादा फायदेमंद है, इससे आपका शुगर नहीं बढ़ेगा, क्या ऐसा सच है, हेपेटोलॉजिस्ट ने असली बात बता दी है। पढ़िए रिपोर्ट।

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit: Sora
कभी सोचा है कि बूढ़े-बुजुर्ग अक्सर सलाह देते हैं कि अगर शुगर से बचना है तो चीनी छोड़कर गुड़ खाना शुरू कर दो। इसमें शुगर नहीं होता, आपकी सेहत पर खराब असर नहीं पड़ता है। आपने यह भी सुना होगा कि कुछ लोग गुड़ और चीनी, दोनों को खराब मानते हैं और कहते हैं कि इनकी जगह आप शहद खाना शुरू कर दो। सोशल मीडिया से लेकर यूट्यूब तक, हर जगह ऐसी दो-चार ज्ञानी भरे पड़े हैं जो बताते हैं कि क्या खाने से शुगर कम होता है, क्या खाने से डायबिटीज नहीं होता, डायबिटीज से कैसे बच सकते हैं। जो डॉक्टर या वैद्य नहीं हैं, वे भी खुद को इन मामलों का एक्सपर्ट बताते हैं।
जैसे-जैसे जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां बढ़ी हैं, लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो रहे हैं। जो लोग फिटनेस फ्रीक हैं या जिन्हें लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां हैं, वे इन चीजों के बारे में दिलचस्पी लेते हैं और लोगों की सलाह पर मंथन करने लगते हैं। अब लोग सफेद चीनी की जगह शहद, गुड़ या ब्राउन शुगर का इस्तेमाल करने लगे हैं, सोचते हैं कि इससे सेहत दुरुस्त रहेगी। क्या ऐसा सच में होता है, आइए समझते हैं।
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शहद, गुड़, ब्राउन शुगर फायदेमंद चीनी खराब?
मशहूर हेपेटोलॉजिस्ट, लिवर एक्सपर्ट डॉ. सायरियक एबी फिलिप्स ने इस बारे में खुलकर बात की है। डॉ. फिलिप्स सोशल मीडिया पर बेहद मशहूर हैं, लोग उन्हें 'द लिवर डॉक्टर' के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने इस फैक्ट पर ऐसी सच्चाई बताई है, जिले बेहद कम लोग जातने हैं।
डॉ. सायरियक एबी फिलिप्स, मशहूर हेपेटोलॉजिस्ट, लिवर एक्सपर्ट:-
गुड़, शहद, और ब्राउन शुगर जैसी मिठाइयां, आपके लिवर और पैंक्रियास के लिए सफेद चीनी जितने ही हानिकारक हैं। शरीर के अंदर ये सब ग्लूकोज और फ्रुक्टोज में बदल जाते हैं। आपके शरीर के अंदरुनी अंग, यह तय नहीं कर सकते हैं कि क्या शुगर है, गुड़ है या ब्राउन शुगर है। असली मकसद, कुल शुगर का कम सेवन है, न कि इनके किसी भी फॉर्म में से किसी एक को चुन लेना।
डॉ. फिलिप्स किस आधार पर कह रहे हैं ऐसा?
डॉ. फिलिप्स, लिवर एक्सपर्ट हैं। उन्होंने लिवर, पित्ताशय, बाइल डक्ट्स और पेंक्रियाज की कार्यप्रणाली पर ही पढ़ाई की है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के कुछ अध्ययनों का हवाला भी दिया। उन्होंने WHO का जिक्र करके मीठा खाने से जुड़ी एक सलाह भी दी।
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डॉ. फिलिप्स:-
हर दिन, कुल कैलोरी के खाने में 10 फीसदी से भी कम चीनी को डाइट में शामिल करना चाहिए। अगर आप 2000 कैलोरी की डाइट लेते हैं तो 50 ग्राम से कम चीनी खाएं। 50 ग्राम चीनी में करीब 12 चम्मच चीनी आती है।
भारत में यह गाइडलाइन क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा निर्देश कहते हैं कि रोजाना कुल कैलोरी का 10% से कम चीनी का सेवन करना चाहिए। औसत 2000 कैलोरी वाले व्यक्ति के लिए करीब 50 ग्राम चीनी ठीक है। स्वास्थ्य मंत्रालय भी 25 ग्राम तक शुगर का सेवन ठीक मानता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन का कहना है कि पुरुषों के लिए ज्यादा से ज्यादा 36 ग्राम और महिलाओं के लिए 25 ग्राम शुगर का सेवन ठीक है।
ब्राउन शुघर, शहद और गुड़ का अंतर क्या है?
ब्राउन शुगर, शहद और गुड़ के बारे में डॉक्टर फिलिप्स ने कहा कि इनमें थोड़े बहुत मिनरल्स पाए जाते हैं। इनमें आयरन, कैल्शियम होते हैं, लेकिन इतनी कम मात्रा कि कोई फायदा नहीं होता है। ब्राउन शुगर से रोजाना जरूरी आयरन का सिर्फ 1% पाने के कम से कम 5 चम्मच चीनी खानी पड़ेगी, यह फायदा कम, नुकसान ज्यादा पहुंचाएगी। डॉ. फिलिप का कहना है कि सफेद चीनी की तरह शहद और गुड़ को भी सेहत के लिहाज से सिर्फ 10 में से 2 रेटिंग दी जा सकती है। गुड़ को 10 में से 3 रेटिंग दी जा सकती है।
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वेलनेस इन्फ्लुएंसर्स क्या कहते हैं?
गुड़ और शहद के बारे में वेलनेस इन्फ्लुएंसर तरह-तरह के फर्जी दावे करते हैं, जिसकी वजह से लोगों की सेहत खराब हो सकती है। शहद का ग्लाइमिक इंडेक्स (GI) कम होता है लेकिन यह इंसुलिन बढ़ा देता है। गुड़ में मिनरल्स पाने के लिए ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करना होगा। ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) एक पैमाना है जो बताता है कि कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ खाने के बाद आपके शरीर में ब्लड शुगर कितनी जल्दी बढ़ता है।
डॉ. फिलिप्स:-
मिठाई कम खानी चाहिए, चाहे वह किसी भी फॉर्म में हो। सेहत के लिए शुगर पर कंट्रोल जरूरी है। आप नेचुलर कहकर मिठाई ज्यादा नहीं खा सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की शुगर पर सलाह क्या है?
डॉ. फिलिप्स ने बताया, '2023 में आई WHO गाइडलाइंस में कहा गया है कि स्टेविया जैसे नॉन-शुगर स्वीटनर्स वजन कम करने या बीमारियां रोकने में मदद नहीं करते। ये इंसुलिन नहीं बढ़ाते, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित भी नहीं। कुछ लोगों को एलर्जी या दवाओं से इंटरैक्शन हो सकता है।'
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