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IVF से जुड़े इन मिथ्स को सच मानते हैं लोग, डॉक्टर ने बताई सच्चाई

आईवीएफ उन कपल के लिए वरदान है जिनके बच्चे नहीं हो रहे हैं। इस तकनीक को लेकर कई भ्रांतियां भी फैली हुई है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo Credit: Freepik

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आज के समय में महिलाएं करियर के चलते 30 साल के बाद शादी करती है। 30 से 35 साल तक की उम्र में कई महिलाओं को मां बनने में दिक्कत होती हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनफर्टिलिटी की समस्या आज के समय में आम हो गई है। महिलाओं में बच्चा पैदा करने की क्षमता तेजी से घटी है। ऐसे में जो महिलाएं लंबे समय से कंसीव करने का ट्राई कर रही है उनके लिए आईवीएफ एक वरदान है।

 

डॉक्टर्स कपल को सबसे आखिरी में आईवीएफ करवाने की सलाह देते हैं। आज के समय में आईवीएफ आम बात हो गई है। इससे जुड़े कई भ्रांतियां सुनने को मिलती है। हमने इस बारे में दिल्ली, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट की सीनियर कंसल्टेंट ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डॉ. मिनाक्षी बंसल से बात की।

 

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IVF से जुड़े मिथ्स

आईवीएफ से जुड़वां बच्चे होते हैं?

 

आईवीएफ से जुड़ी सबसे बड़ी भ्रांतियों में से एक यह है कि इससे हमेशा जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं। यह बिल्कुल सही नहीं है। वास्तव में, आईवीएफ के जरिए एक बच्चा ही जन्म ले सकता है। जुड़वां या बहुजन्म केवल उस स्थिति में होते हैं जब एक से ज्यादा एम्ब्रियो गर्भ में प्रत्यारोपित किए जाएं या प्राकृतिक रूप से एक एम्ब्रियो विभाजित हो जाए। आधुनिक आईवीएफ तकनीक में डॉक्टर जरूरत के अनुसार केवल एक या दो एम्ब्रियो ट्रांसफर करते हैं, ताकि सुरक्षित प्रेग्नेंसी सुनिश्चित की जा सके। इस प्रक्रिया में जुड़वां बच्चों की संभावना सामान्य गर्भावस्था की तुलना में थोड़ी बढ़ सकती है लेकिन यह हर आईवीएफ केस में नहीं होता।

 

क्या सिर्फ 40 की उम्र में आईवीएफ ही एक मात्र विकल्प है?

 

सिर्फ 40 की उम्र में आईवीएफ ही एकमात्र विकल्प नहीं है। उम्र बढ़ने के साथ महिला के अंडाणु की संख्या और गुणवत्ता कम हो जाती है इसलिए फर्टिलिटी में चुनौतियां बढ़ जाती हैं। 40 वर्ष की आयु में प्राकृतिक रूप से गर्भधारण की संभावना कम होती है लेकिन प्रेग्नेंसी के लिए अन्य विकल्प जैसे अंडाणु डोनेशन या धीरे-धीरे एम्ब्रियो ट्रांसफर पर विचार किया जा सकता है। आईवीएफ एक प्रभावी तरीका है लेकिन यह पूरी तरह से एकमात्र विकल्प नहीं है। सही योजना और विशेषज्ञ मार्गदर्शन से उम्र के इस चरण में भी सुरक्षित और सफल प्रेग्नेंसी संभव है।

 

आईवीएफ से बच्चा होना गारंटी है?

 

आईवीएफ  से बच्चा होना हमेशा गारंटी नहीं है। आईवीएफ एक मददगार तकनीक है जो गर्भधारण की संभावना बढ़ाती है लेकिन सफल प्रेग्नेंसी कई फैक्टरों पर निर्भर करती है जैसे महिला की उम्र, अंडाणु और शुक्राणु की गुणवत्ता, स्वास्थ्य की स्थिति और अतीत की प्रेग्नेंसी हिस्ट्री। कुछ मामलों में एक से अधिक प्रयास की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए आईवीएफ को सफलता की गारंटी समझना मिथ है जबकि यह एक सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीका है जो संभावनाओं को बढ़ाता है।

 

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आईवीएफ से पैदा होने वाले बच्चों में डिफेक्ट होता है?

 

आईवीएफ से पैदा होने वाले बच्चों में किसी तरह के जन्मजात दोष होने की संभावना सामान्य गर्भावस्था की तुलना में ज्यादा नहीं होती। कई वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि आईवीएफ बच्चों का विकास सामान्य होता है। जैसे किसी भी गर्भावस्था में यहां भी जीन माता-पिता की उम्र और स्वास्थ्य जैसे फैक्टर्स भूमिका निभाते हैं। इसलिए यह धारणा कि आईवीएफ से जन्मे बच्चों में डिफेक्ट होगा पूरी तरह मिथक है।

 

आईवीएफ कराने से पहले जानें ये जरूरी बातें

 

आईवीएफ कराने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातें जानना बहुत जरूरी है। सबसे पहले, अपनी और अपने पार्टनर की पूरी मेडिकल हिस्ट्री और फर्टिलिटी रिपोर्ट समझें। महिला की उम्र, अंडाणु और शुक्राणु की गुणवत्ता, हार्मोन लेवल और स्वास्थ्य स्थिति सफलता की संभावना तय करती है। साथ ही, आईवीएफ प्रक्रिया, संभावित साइड इफेक्ट्स, लागत, समय और मानसिक तैयारी के बारे में भी पूरी जानकारी लें। विशेषज्ञ डॉक्टर से काउंसलिंग कर अपनी उम्मीदें और विकल्प स्पष्ट करना बेहद जरूरी है। यह सुनिश्चित करता है कि आईवीएफ सुरक्षित, प्रभावी और आपके लिए सही विकल्प हो।

 

क्या आईवीएफ करवाने की भी सही उम्र होती है?

 

आईवीएफ कराने की सही उम्र होती है और यह मुख्य रूप से महिला की उम्र पर निर्भर करती है। सामान्यत 20 से 35 साल की उम्र में आईवीएफ की सफलता की संभावना सबसे अधिक होती है क्योंकि इस दौरान अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता बेहतर होती है। 35 से 40 साल के बाद सफलता की दर धीरे-धीरे कम होने लगती है और 40 के बाद अंडाणु की गुणवत्ता और गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। इसलिए आईवीएफ कराने की योजना बनाने से पहले उम्र, स्वास्थ्य और फर्टिलिटी रिपोर्ट को ध्यान में रखना जरूरी है।

 


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