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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: ‘ॐ’ आकार के द्वीप पर है महादेव का दिव्य मंदिर

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है। आइए जानते हैं, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व और इस स्थान की महिमा और महत्व।

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश(Photo Credit: Wikimedia Commons)

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भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महत्वपूर्ण और पवित्र ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है, जो मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग एक अद्भुत स्थान पर स्थित है- एक द्वीप जो नर्मदा नदी के बीच में बना हुआ है और जिसका आकार पवित्र ॐ (ओंकार) जैसा दिखता है। इस कारण इसे 'ओंकारेश्वर' कहा जाता है। यह स्थान न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र है, बल्कि इसकी अद्भुत संरचना और प्राकृतिक सौंदर्य भी लोगों को आकर्षित करता है।

ओंकारेश्वर की पौराणिक कथा

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब पूरे ब्रह्मांड में असुरों का आतंक बढ़ गया था। असुरों की शक्ति इतनी बढ़ गई थी कि वे ऋषियों और देवताओं को परेशान करने लगे। उस समय सभी देवताओं और ऋषियों ने मिलकर भगवान शिव की आराधना करने का निश्चय किया। उन्होंने नर्मदा नदी के तट पर कठोर तपस्या शुरू की।

 

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ऋषियों की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने आश्वासन दिया कि वे इस स्थान पर स्वयं ज्योतिर्लिंग रूप में विराजमान रहेंगे। तब से यह स्थान ओंकारेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुआ और यहां भगवान शिव की पूजा की जाने लगी।

मंदाता राजा की तपस्या

एक अन्य कथा के अनुसार, राजा मंदाता, जो सूर्य वंश के एक महान सम्राट थे, ने इस स्थान पर कठोर तपस्या की थी। उन्होंने भगवान शिव की घोर उपासना की और शिव को प्रसन्न कर उनसे वरदान प्राप्त किया। इस तपस्या के प्रभाव से भगवान शिव ने स्वयं को इस स्थान पर स्थापित किया और तभी से इसे 'ओंकारेश्वर' कहा जाने लगा।

ओंकारेश्वर मंदिर का अद्भुत रहस्य

ॐ आकार का द्वीप

ओंकारेश्वर मंदिर जिस स्थान पर स्थित है, वह एक प्राकृतिक द्वीप है, जिसका आकार ॐ (ओंकार) जैसा दिखाई देता है। यह अपने आप में एक चमत्कारी और रहस्यमय बात है कि प्रकृति ने इस स्थान को भगवान शिव के दिव्य प्रतीक के रूप में आकार दिया है।

शिवलिंग का विशेष आकार

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का आकार अन्य ज्योतिर्लिंगों से भिन्न माना जाता है। मान्यता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू (स्वतः प्रकट हुआ) है और इसका स्वरूप समय-समय पर बदलता रहता है।

नर्मदा नदी की दिव्यता

ऐसा कहा जाता है कि नर्मदा नदी स्वयं भगवान शिव की शक्ति से प्रवाहित होती है। यह एकमात्र नदी है जिसकी परिक्रमा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ओंकारेश्वर का जल शिवलिंग पर अभिषेक के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

 

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ओंकारेश्वर की महिमा और महत्व

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन कई पुराणों और ग्रंथों में किया गया है। कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु यहां भगवान शिव की पूजा करता है, उसे अद्भुत पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और मनुष्य को सुख, शांति और मोक्ष का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही इस स्थान से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि इस स्थान पर पूजा करने से व्यक्ति को कई प्रकार के ग्रह-दोष और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।


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