बिहार का नालंदा जिला अपने प्राचीन इतिहास के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहीं पर दुनिया की सबसे पुरानी नालंदा यूनिवर्सिटी थी, जहां देश-विदेश से छात्र पढ़ने आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने लगभग 427 ईस्वी में की थी। यहां 10 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ाई करते थे। इसमें 300 कमरे, 7 बड़े हॉल और एक 9 मंजिला लाइब्रेरी थी, जिसमें लाखों किताबें थीं। मशहूर चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी इसी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी। इसे 12वीं सदी में बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था। कई महीनों तक यूनिवर्सिटी जलती रही थी। इसके अवशेष आज भी मौजूद हैं। 


जैन और बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए भी नालंदा एक धार्मिक स्थल है। माना जाता है कि महावीर और गौतम बुद्ध कई बार यहां आकर ठहरे थे। ऐसी मान्यता है कि महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति पावापुरी में की थी जो नालंदा में स्थित है। बुद्ध के प्रमुख छात्रों से एक शारिपुत्र का जन्म भी यहां हुआ था।


नालंदा के राजगीर में गर्म पानी के कई झरने हैं। माना जाता है कि इन झरनों को राजा बिंबिसार ने अपने शासन काल में बनवाया था। यहां पर चीन और जापान के मंदिर भी देखने को मिल जाएंगे। नालंदा जिले के बिहार शरीफ में जामा मस्जिद भी है। 

 

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राजनीतिक समीकरण

नालंदा जिला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है। यहां कुर्मी जाति का दबदबा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कुर्मी समुदाय से आते हैं। कुर्मियों के प्रभाव के कारण राजनीतिक गलियारों में इसे 'कुर्मिस्तान' भी कहा जाता है। 


कुर्मियों के अलावा यहां पर कुशवाहा समुदाय का भी अच्छा प्रभाव है। यह भी पिछड़ा वर्ग में आते हैं। दोनों ही समुदाय नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू के समर्थक हैं। 


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला होने फायदा जेडीयू और एनडीए को भी मिलता रहा है। नालंदा जिले में 7 विधानसभा सीटें आती हैं। अभी 7 में से 6 सीटों पर बीजेपी और जेडीयू का ही कब्जा है। सिर्फ एकमात्र सीट इस्लामपुर में आरजेडी का कब्जा है। आरजेडी ने यह सीट 2020 में ही जेडीयू से छीनी थी। उससे पहले इस्लामपुर में लगातार 6 चुनाव से नीतीश कुमार की पार्टी ही जीत रही थी।


बाकी जो 6 विधानसभा सीटें हैं, उनमें दशकों से जेडीयू और बीजेपी का ही कब्जा है। अस्थावां, बिहारशरीफ, नालंदा और हरनौत में दो दशक, राजगीर में तीन दशक और हिलसा में ढाई दशक से एनडीए का ही दबदबा है।

 

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विधानसभा सीटें

  • अस्थावां: पिछले 5 चुनाव से यहां जेडीयू के जितेंद्र कुमार जीतते आ रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू के जितेंद्र कुमार ने आरजेडी के अनिल कुमार को 11,600 वोटों से हराया था।
  • बिहारशरीफ: इस सीट पर 20 साल से एनडीए का ही कब्जा है। पिछले चुनाव में बीजेपी के सुनील कुमार ने लगातार 5वीं बार यहां से जीत हासिल की थी। उन्होंने आरजेडी के सुनील कुमार को 15 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था।
  • राजगीर: यह सीट तीन दशकों से एनडीए के पास है। पिछले चुनाव में जेडीयू के कौशल किशोर ने कांग्रेस के रवि ज्योति को 16 हजार वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की थी।
  • इस्लामपुर: पिछले चुनाव में आरजेडी ने यह सीट जेडीयू से छीन ली थी। 2020 के चुनाव में आरजेडी के राकेश कुमार रौशन ने जेडीयू के चंद्रसेन प्रसाद को 3,698 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी। 
  • हिलसा: पिछले विधानसभा चुनाव में यहां जेडीयू और आरजेडी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। जेडीयू उम्मीदवार कृष्णमुरारी शरण ने मात्र 12 वोटों से आरजेडी के अत्रि मुनि को हराकर जीत हासिल की थी।
  • नालंदा: यहां तीन दशकों से जेडीयू के श्रवण कुमार का दबदबा है। पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू के श्रवण कुमार ने लगातार 7वीं बार नालंदा से जीत हासिल की थी। उन्होंने जनतांत्रिक विकास पार्टी के कौशलेंद्र कुमार को हराया था।
  • हरनौत: यहां आरजेडी या कांग्रेस कभी नहीं जीत पाई है। साल 1995 के चुनाव में सीएम नीतीश कुमार यहीं से विधायक बने थे। पिछले तीन चुनाव से जेडीयू के हरि नारायण सिंह यहां से जीतते आ रहे हैं।

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जिले की प्रोफाइल

नालंदा जिले की कुल आबादी 23.68 लाख है। यहां 4 नगर पालिका, 3 अनुमंडल, 20 ब्लॉक और 1,081 गांव हैं। जिले का क्षेत्रफल 2,355 वर्ग किलोमीट और जनसंख्या घनत्व 1,006 प्रति वर्ग किलोमीटर है। जिले में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की जनसंख्या 915 है। यहां की साक्षरता दर 64.43% है।