भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी के एक बयान पर विवाद हो गया है। उन्होंने भारत के राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत की तुलना करते हुए कहा है कि भारत का राष्ट्रगान यानी 'जन गण मन' ब्रिटिश अधिकारी के स्वागत में लिखा गया था। कर्नाटक की उत्तर कन्नड़ लोकसभा सीट से सांसद विश्वेश्वर हेगड़े के बयान पर कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियंक हेगड़े ने कहा है कि यह बेतुका बयान है। प्रियंक खड़गे ने यह भी कहा है कि खुद रवींद्र नाथ टैगोर साल 1937 और 1939 में स्पष्ट कर चुके हैं यह राष्ट्रगान 'भारत के भाग्य विधाता' की स्तुति करता है न कि जॉर्ज पंचम, जॉर्ज षष्ठम या किसी और जॉर्ज की।
विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने यह टिप्पणी उत्तर कन्नड़ जिले के होन्नावर में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में की। BJP नेता कागेरी ने कहा कि वंदे मातरम् को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए और वंदे मातरम् और जन गण मन दोनों का दर्जा समान है। उन्होंने कहा, 'मैं इतिहास के बारे में बात नहीं करना चाहता। वंदे मातरम् को राष्ट्रगान बनाए जाने की जोरदार मांग थी लेकिन हमारे पूर्वजों ने वंदे मातरम् के साथ जन गण मन को भी स्वीकार किया, जो ब्रिटिश अधिकारी के स्वागत के लिए रचा गया था। हम उसे मानते और गाते आ रहे हैं।'
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भड़क गए प्रियंक खड़गे
उन्होंने आगे कहा कि वंदे मातरम् का देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान सदैव प्रेरणास्रोत रहा है। कागेरी ने कहा, 'इसके 150वें वर्ष पूरे होने के मौके पर यह गीत हर किसी तक पहुंचना चाहिए- स्कूलों, कॉलेजों, युवाओं और आम जनता तक।' उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रियंक खरगे ने ‘एक्स’ पर लिखा, 'बीजेपी सांसद कागेरी अब कहते हैं कि राष्ट्रगान ब्रिटिश है। यह बकवास है। यह आरएसएस का एक और वॉट्सऐप मैसेज है।' उन्होंने कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1911 में ‘भारत भाग्य विधाता’ की रचना की थी, जिसकी पहली पंक्ति बाद में ‘जन गण मन’ लिखा गया, यह गीत 27 दिसंबर 1911 को कोलकाता में कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार गाया गया था, न कि किसी ब्रिटिश राजा के सम्मान में।
प्रियंक खरगे ने आगे कहा, 'रवींद्रनाथ टैगोर ने 1937 और 1939 में स्पष्ट किया था कि यह गीत ‘भारत के भाग्य विधाता’ की स्तुति करता है, न कि जॉर्ज पंचम, जॉर्ज षष्ठम या किसी और जॉर्ज की।' उन्होंने कहा, 'सांसद ने कहा है कि वह इतिहास में नहीं जाना चाहते, लेकिन मैं आग्रह करता हूं कि बीजेपी और RSS के हर नेता, कार्यकर्ता और स्वयंसेवक को इतिहास में लौटकर आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइज़र के संपादकीय पढ़ने चाहिए ताकि समझ सकें कि संविधान, तिरंगे और राष्ट्रगान के प्रति अनादर की आरएसएस की लंबी परंपरा रही है। यह ‘वायरस’ ठीक किया जाना चाहिए।'
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पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के अनुसार, 2025 में बंकिमचंद्र चटर्जी के लिखे ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। माना जाता है कि यह गीत 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के अवसर पर रचा गया था। बता दें कि भारत के राष्ट्रगान 'जन गण मन' को सभी आधिकारिक कार्यक्रमों में गाया जाता है।


