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गयाजी: मांझी के गढ़ में कैसे मजबूत होगा महागठबंधन? गंभीर है चुनौती

गया जिला कुछ दिन पहले ही गयाजी बन चुका है। पिछले चुनाव में NDA के लिए फायदेमंद रहे इस जिले में महागठबंधन खुद को मजबूत करने में जुटा हुआ है।

gayaji district of bihar

गयाजी जिला, Photo Credit: Khabargaon

बिहार और झारखंड की सीमा पर बसा यह जिला धार्मिक तौर पर बेहद अहम है। इसी जिले में हिंदू धर्म के लिए लोग अपने पितरों का पिंडदान करने आते हैं तो इसी जिले में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के कई अहम केंद्र हैं। फल्गु नदी के तट पर बसा गया शहर मगध का अहम हिस्सा है। इस जिले में नदियां हैं, पहाड़ हैं, घाटिया हैं और कई धर्मों के स्थल हैं। बिहार के पुराने जिलों में शामिल गया में से ही निकलकर औरंगाबाद और नवादा जिले बने हैं। यह जिला न सिर्फ धार्मिक रूप से अहम है बल्कि देश की सेना के लिए अफसर तैयार करने वाली ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी भी यहीं है।

 

बौद्ध धर्म में अहमियत रखने वाला बोधिवृक्ष गया में ही है।  बौद्ध धर्म से जुड़े रत्नगढ़, भगवान बुद्ध की 80 फीट की मूर्ति, बुद्ध कुंड, सुजाता गढ़ और डुंगेश्वर मंदिर जैसे स्थल यहीं मौजूद हैं। कहा जाता है कि फल्गु नदी के तट पर विष्णु पद मंदिर के दूसरी तरफ ही माता सीता ने अपने ससुर यानी राजा दशरथ का पिंडदान किया था। इसी विष्णु पद मंदिर के पास मशहूर अक्षय वट भी मौजूद है।

 

राजनीतिक दृष्टि से देखें तो इस जिले में कुल 10 विधानसभा सीटें हैं जो कुल 3 लोकसभा क्षेत्रों में बंटी हुई हैं। गया की सुरक्षित सीट से फिलहाल जीतनराम मांझी सांसद हैं। जहानाबाद से आरजेडी के सुरेंद्र प्रसाद यादव और औरंगाबाद से आरजेडी के ही अभय कुशवाहा सांसद हैं। गुरुआ, इमामगंज और टिकारी विधानसभा औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में हैं।  अतरी विधानसभा जहानाबाद में है। वहीं, शेरघाटी, बाराचट्टी, बोधगया, गया टाउन, बेलागंज और वजीरगंज विधानसभा क्षेत्र गया लोकसभा क्षेत्र में आते हैं।

राजनीतिक स्थिति

 

सीटों की संख्या के लिहाज से देखें तो 2020 के चुनाव में आरजेडी ने 10 में से 4 सीटें जीती थी। हालांकि, गठबंधन के लिहाज से NDA यहां 6 सीटें जीतकर आगे रहा था। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आरजेडी मजबूत साबित हुई और इस क्षेत्र की 2 सीटों पर अपना कब्जा जमाया। हालांकि, गया लोकसभा सीट पर जीतन राम मांझी ने बाजी मारी। बराचट्टी, इमामगंज और गया टाउन जैसी सीटों पर जीतना आरजेडी और महागठबंधन के लिए टेढ़ी खीर साबित होता रहा है। दोनों ही गठबंधनों का जोर इसी बात पर है कि अपनी-अपनी सीटें इस जिले से बढ़ाई जाएं।

 

इस कोशिश में कई विधायकों को फिर से टिकट मिला है। बेलागंज की सीट आरजेडी के लिए प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है क्योंकि उपचुनाव में आरजेडी ने अपनी यह मजबूत सीट गंवा दी थी। वहीं, यह पूरा जिला जीतनराम मांझी के परिवार के लिए बेहद अहम है। हिंदुस्तान अवा मोर्चा को कुल 6 सीटें मिली हैं जिसमें से 4 सीटें गया जिले में ही हैं। 2 सीट पर HAM का कब्जा पहले से है और अतरी में उसे जीत हासिल करके अपना प्रदर्शन सुधारना है। वहीं, आरजेडी के सामने चुनौती है कि वह अपनी 4 सीटें फिर से जीतने के साथ-साथ एक-दो और सीटों पर जीत हासिल करके सत्ता तक पहुंचने का रास्ता बना सके। 

 

विधानसभा सीटें

 

गुरुआ- लगातार दो हार के बाद आरजेडी ने गुरुआ सीट पर 2020 में ही वापसी की थी। तब आरजेडी के विनय यादव ने बीजेपी के राजीव नंदन डांगी को हरा दिया था। इस बार बीजेपी ने उपेंद्र प्रसाद को टिकट दिया है। वहीं, आरजेडी ने 2020 में जीते विनय कुमार पर ही एक बार फिर से दांव लगाया है। 

 

शेरघाटी-2008 के परिसीमन के बाद दोबारा अस्तित्व में आई इस सीट पर जेडीयू ने दो बार जीत हासिल की लेकिन 2020 में आरजेडी की मंजू अग्रवाल ने जेडीयू को हरा दिया। आरजेडी ने इस बार मंजू अग्रवाल का टिकट काटकर प्रमोद कुमार वर्मा को टिकट दिया है। वहीं, एनडीए गठबंधन की ओर से यह सीट LJP (RV) को दी गई है और उसने उदय कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।


इमामगंज- इमामगंज सीट भी मांझी परिवार की मजबूत सीट बन चुकी है। 2024 में जीतनराम मांझी सांसद बनकर केंद्रीय मंत्री बने तो यह सीट खाली हुई और यहां से उनकी बहू दीपा मांझी चुनाव लड़कर विधायक बनीं। HAM ने एक बार फिर से दीपा मांझी को ही टिकट दिया है। वहीं, आरजेडी ने बदलाव करते हुए इस बार ऋतु प्रिया चौधरी को टिकट दिया है। वहीं, इस सीट से 4 बार के विधायक उदय नारायण चौधरी को आरजेडी ने इस बार सिकंदरा सीट से उतारा है।


बराचट्टी- पिछले कुछ चुनावों में यह सीट जीतन राम मांझी के परिवार की सीट बनती जा रही है। फिलहाल जीतन राम मांझी की समधन ज्योति देवी इस सीट से विधायक हैं। 2020 में उन्होंने आरजेडी की समता देवी को हराकर चुनाव जीता था। HAM के टिकट पर ज्योति देवी ही एक बार फिर से मैदान में हैं। आरजेडी ने इस बार बदलाव किया है और पूर्व विधायक और कद्दावर नेता रहीं भगवती देवी की पोती तनुश्री मांझी को टिकट दिया है।


बोधगया- बोधगया विधानसभा सीट से कभी आरजेडी के टिकट पर जीतनराम मांझी विधायक बने थे। यहां से बीजेपी और लोक जनशक्ति पार्टी भी चुनाव जीती हैं लेकिन पिछले दो चुनावों से आरजेडी यहां बाजी मार रही है। 2020 में आरजेडी के कुमार सर्वजीत ने बीजेपी के हरि मांझी को चुनाव हराया था। आरजेडी ने तीसरी बार कुमार सर्वजीत को ही टिकट दिया है। वहीं,  LJP (RV) ने 2015 में चुनाव हारे श्यामदेव पासवान को टिकट दिया है।

 

गया टाउन- गया टाउन और बीजेपी के प्रेम कुमार हर जीत के साथ एक नई इबारत लिखते आ रहे हैं। 1990 से लगातार प्रेम कुमार और बीजेपी ही यहां से जीतते आए हैं। लगातार 8 चुनाव जीत चुके प्रेम कुमार को ही बीजेपी ने एक बार फिर से मौका दिया है। वहीं, पिछली बार चुनाव हारे अखौरी ओंकार नाथ को ही कांग्रेस ने फिर से उतारा है।

 

टिकारी- 2020 में एनडीए ने टिकारी विधानसभा सीट HAM को दे दी थी। 2010 में जेडीयू के टिकट पर विधायक रहे अनिल कुमार ही यहां से चुनाव लड़े और कांग्रेस के सुमंत कुमार को सिर्फ 2630 वोटों से हराकर विधायक बन गए। यही अनिल कुमार 2015 में भी HAM के टिकट पर लड़े थे लेकिन चुनाव हार गए थे। इस बार यहां से आरजेडी ने अजय कुमार को टिकट दिया है। वहीं, HAM ने फिर से मौजूदा विधायक अनिल कुमार को ही मैदान में उतारा है।

 

बेलागंज- बेलागंज विधानसभा सीट पर 2000 के बाद से आरजेडी हार नहीं रही थी लेकिन 6 बार के विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव के सांसद बनते ही यह रिकॉर्ड टूट गया। उनके सांसद बनने के बाद जब उपचुनाव हुए तो जेडीयू ने 2020 में अतरी विधानसभा सीट से चुनाव हारीं मनोरमा देवी को बेलागंज सीट से उतार दिया। आरजेडी ने विश्वनाथ कुमार सिंह को टिकट दिया था। मनोरमा देवी ने यहां बड़े अंतर से जीत हासिल की। 2025 के चुनाव में भी इन्हीं दोनों का मुकाबला होना है।

 

अतरी- इस विधानसभा सीट पर लंबे समय से आरजेडी का दबदबा रहा है। हालांकि, 2010 में जेडीयू के टिकट पर उतरे कृष्ण नंद यादव ने यहां से जीत हासिल की थी। 2015 में आरजेडी की कुंती देवी यादव ने बाजी मारी तो 2020 में आरजेडी ने उनका टिकट काटकर अजय कुमार यादव को उतारा और वह भी जीत गए। इस बार आरजेडी ने फिर उम्मीदवार बदलता है अजय यादव की भाभी बैजयंती देवी को चुनाव में उतार दिया है। वहीं, एनडीए में यह सीट हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के खाते में गई है और उसने रोमित कुमार को चुनाव में उतारा है।
 
वजीरगंज- 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी बारी-बारी से जीतती आ रही हैं। 2010 में बीजेपी के बीरेंद्र सिंह जीते थे लेकिन 2015 में कांग्रेस के अवधेश कुमार सिंह ने उन्हें हरा दिया था। 2020 में कांग्रेस ने शशि शेखर सिंह को टिकट दिया और बीरेंद्र सिंह ने उन्हें हराकर यह सीट जीत ली। इस बार भी बीजेपी ने बीरेंद्र सिंह को ही उतारा है और कांग्रेस ने हार से सबक लेते हुए एक बार फिर से अवधेश कुमार सिंह को ही टिकट दे दिया है। 

जिले का प्रोफाइल

 

धार्मिक दृष्टि से बेहद अहम माने वाले इस जिले का नाम कुछ महीने पहले ही बदला गया है। अब गयाजी के नाम से जाने जा रहे इस जिले का क्षेत्रफल 4976 वर्ग किलोमीटर है। लगभग 44 लाख की जनसंख्या वाले इस जिले में कुल 4 तहसील, 24 ब्लॉक, 332 ग्राम पंचायत और 2886 गांव हैं। जिले की साक्षरता दर 52.38 प्रतिशत है जो कि काफी कम है। इस जिले में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की जनसंख्या 946 है यानी 1000 पुरुषों पर कुल 946 महिलाएं हैं।


विधानसभा सीटें
BJP-2
HAM-3
JDU-1
RJD-4

 

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