नवरात्रि के पावन अवसर पर दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व हर वर्ष बढ़ जाता है। दुर्गा सप्तशती, जिसे चंडी पाठ के नाम से भी जाना जाता है, यह 700 श्लोकों का एक ग्रंथ है, जिसमें देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों और उनके शक्तिशाली कृत्यों का वर्णन किया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में संकटों से मुक्ति, मानसिक शक्ति, आत्मबल और आध्यात्मिक उन्नति आती है।

 

सप्तशती के हर अध्याय के अलग-अलग लाभ बताए गए हैं। पहले अध्याय में भक्त की भक्ति और सम्मान की भावना बढ़ती है, दूसरे अध्याय का पाठ करने से संपत्ति, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।  भक्त मानते हैं कि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष रूप से फलदायी होता है। यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और मानसिक स्थिरता लाने का भी साधन है। 

 

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प्रथम (पहला) अध्याय:

  • मान्यता के अनुसार, इसके पाठ से व्यक्ति की सारी चिंतायें दूर होती हैं।
  • इससे शत्रु भय दूर होता है और शत्रुओं की बाधा शांत होती है।

द्वितीय (दूसरा) और तृतीय (तीसरा) अध्याय:

  • आचार्यों के अनुसार, इसके पाठ से मुकदमेबाजी में सफलता मिलती है।
  • झूठे आरोपों से मुक्ति मिल सकती है।

चतुर्थ (चौथा) अध्याय:

  • इसके पाठ से अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति होती है।
  • इससे देवी की भक्ति भी प्राप्त होती है।

पंचम (पांचवा) अध्याय:

  • इसके पाठ से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
  • इससे भय, बुरे सपने और तंत्र-मंत्र की बाधा का नाश होता है।

छठा अध्याय:

  • इसके पाठ से बड़ी से बड़ी बाधा का नाश किया जा सकता है।

सप्तम (सातवां) अध्याय:

  • इसके पाठ से विशेष गुप्त कामनाओं की पूर्ति होती है।

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अष्टम (आठवां) अध्याय:

  • इसके पाठ से वशीकरण की शक्ति मिलती है।
  • साथ ही साथ नियमित रूप से धन लाभ होता है।

नवम (नौवा) अध्याय:

  • इसके पाठ से संपत्ति का लाभ होता है।
  • साथ ही साथ खोये हुए व्यक्ति का पता मिलता है।

दसवां अध्याय:

  • इसके पाठ से भी गुमशुदा की तलाश में आसानी होती है।
  • अपूर्व शक्ति और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

ग्यारहवां अध्याय:

  • इसके पाठ से हर तरह की चिंता दूर हो जाती है।
  • इससे व्यापार में खूब सफलता भी मिलती है।

बारहवां अध्याय:

  • इसके पाठ से रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • साथ ही नाम, यश और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

तेरहवां अध्याय:

  • इसके पाठ से देवी की कृपा और भक्ति की प्राप्ति होती है।
  • व्यक्ति की हर तरह के संकट से रक्षा होती है।