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समस्तीपुर: बराबरी की सियासी जंग में बाजी कौन मारेगा?

समस्तीपुर जिले में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर रहती है। जानिए इस जिले की सियासी बिसात इस विधानसभा चुनाव में कैसी है।

Samstipur

समस्तीपुर जिला। (Photo Credit: Khabargaon)

समस्तीपुर, साल 1972 तक दरभंगा जिले का हिस्सा था। इसी साल यह जिला, दरभंगा से विभाजित होकर अलग जिला बना। यहां 1325 से लेकर 1525 ईस्वी तक, ओइनार वंश का शासन रहा। यह वंश, सुगौना राजवंश के तौर भी जाना जाता है। इस वंश की स्थापना कामेश्वर ठाकुर ने कर्नाट राजवंश के पतन के बाद की थी और इसका शासन काल कला और संस्कृति के विकास के लिए जाना जाता है। मशहूर क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी इसी जिले से आते हैं।

समस्तीपुर जिले में 2 लोकसभाएं हैं, उजियारपुर और समस्तीपुर। समस्तीपुर संसदीय सीट, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। यहां 10 विधानसभाएं हैं। कल्याणपुर, वारिसनगर, समस्तीपुर, उजिरायपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीननगर, विभूतिपुर, रोसड़ा और हसनपुर। समस्तीपुर में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच बराबरी का टक्कर रहता है। समस्तीपुर लोकसभा चुनावों में लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) की शांभवी चौधरी ने बाजी मारी तो वहीं उजियारपुर लोकसभा सीट से नित्यानंद राय विधायक हैं। 

समस्तीपुर जिला, आज भी दरभंगा मंडल का हिस्सा है। बुढ़ी गंडक नदी यहां से होकर गुजरती है। यह ईसीआर, हाजीपुर का एक प्रमुख रेलवे डिवीजन है। समस्तीपुर जंक्शन उत्तर बिहार के सबसे व्यस्त रेल जंक्शन में से एक है।  

राजनीतिक समीकरण

समस्तीपुर विधानसभा में महागठबंधन और एनडीए दोनों दलों का अलग-अलग सीटों पर वर्चस्व रहा है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में 3 सीटें जेडीयू, 2 सीटें बीजेपी, 4 सीटें आरजेडी, एक सीट सीपीएम के पास है। 

विधानसभा सीटें:-

  • कल्याणपुर: कल्याणपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीट है। यह विधानसभा साल 1967 में अस्तित्व में आई थी। साल 2008 से ही इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया है। कल्याणपुर में 16 विधानसभा चुनाव हुए हैं। यहां 5 बार जेडीयू, 3 बार कांग्रेस, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल को 2-2 बार जीत मिली है। जनता पार्टी, लोक दल और जनता दल ने 1-1 बार जीत दर्ज की।  

  • वारिसनगर: जेडीयू के अशोक कुमार यहां से विधायक हैं। यहां अब तक 16 विधानसभा चुनाव हुए हैं। 3 बार सोशलिस्ट पार्टी, एक बार कांग्रेस, दो बार जनता पार्टी, एक बार निर्दलीय प्रत्याशी, दो बार जनता दल, 4 बार जेडीयू चुनाव जीती है। लोक जनशक्ति पार्टी 3 बार चुनाव जीती है। 

  • समस्तीपुर:आरजेडी के अख्तरुल इस्लाम यहां से विधायक हैं। अब तक 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। यहां कांग्रेरस का दबदबा 1972 तक रहा। उसके बाद जनता पार्टी, जेडूयी से लेकर आरजेडी तक के बीच सीट बंटती रही। 4 बार कांग्रेस, एक बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी एक बार, जनता पार्टी 2 बार, लोकदल एक बार, 2 बार जनता दल, 3 बार जेडीयू और 3 बार आरजेडी जीती है। 

  • उजियारपुर: आरजेडी के आलोक कुमार मेहता यहां से विधायक हैं। सिर्फ 3 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। साल 2008 में यह विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। साल 2010 के चुनाव में आरजेडी के दुर्गा प्रसाद सिंह चुनाव जीते थे। 2015 और 2020 में आलोक कुमार मेहता चुने गए। लगातार 3 चुनाव से आरजेडी सत्ता में है। बीजेपी और एनडीए की दाल यहां डेढ़ दशक में नहीं दली है। 

  • मोरवा: आरजेडी के रणविजय साहू यहां से विधायक हैं। साल 2008 में यह सीट अस्तित्व में आई थी। 2010 में पहला चुनाव हुआ। तब जेडीयू के बैद्यनाथ सहनी चुनाव जीते थे। 2015 में यहां से विद्या सागर निषाद चुनाव जीते। 2020 में रणविजय साहू ने बाजी मारी और जेडीयू बाहर हो गई। 

  • सरायरंजन: जेडीयू के विजय कुमार चौधरी यहां से विधायक हैं। साल 1967 में पहली बार यहां संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी चुनाव जीते। भारतीय जनसंघ यहां से एक बार जीती, फिर जनता पार्टी 2 बार, जनता पार्टी (सेक्युलर) एक बार, कांग्रेस एक बार, 3 बार जनता दल, आरजेडी 2 बार, जेडीयू 4 बार चुनाव जीते हैं। 

  • मोहिउद्दीन नगर: बीजेपी के राजेश कुमार सिंह यहां से ही विधायक हैं। 1952 में पहली बार चुनाव हुए तो कांग्रेस के रामरूप प्रसाद जीते। 1957 और 52 के चुनाव में भी कांग्रेस को ही जीत मिली। 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की प्रेमलता विधायक चुनी गईं। अब तक यहां 5 बार कांग्रेस, एक बार सोशलिस्ट, दो बार जनता दल, 3 बार आरजेडी, एक बार एलजेपी और 2 बार बीजेपी चुनाव जीत चुकी है। 

  • बिभूतिपुर: सीपीआई (एम) के अजय कुमार यहां से चुनाव जीते। साल 1967 से अब तक 14 विधानसभा चुनाव हुए हैं। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी एक बार, 2 बार कांग्रेस, 6 बार CPI (M) और 2 बार जेडीयू चुनाव जीती।

  • रोसड़ा: यह आरक्षित विधानसभा है। यहां से बीजेपी के बीरेंद्र कुमार विधायक है। साल 1952 के बाद से अब तक यहां 18 बार चुनाव हुए हैं। 10 अलग-अलग पार्टी और निर्दलीय ने सीटें जीतीं। कांग्रेस ने सबसे अधिक 4 बार जीत हासिल की, जनता दल, लोकदल, आरजेडी और बीजेपी को 2-2 बार जीत हासिल की। प्रजा सोशलिस्ट, संयुक्त सोशलिस्ट, जनसंघ, निर्दलीय, समता पार्टी ने 1-1 बार जीत हासिल की। 

  • हसनपुर: तेज प्रताप यादव यहां से विधायक हैं। वह आरजेडी से निष्कासित हैं, अब जन शक्ति जनता दल में हैं। 1967, 1969, 1972, 1977 और 1980 के विधानसभा चुनाव में गजेंद्र प्रसाद हिमांशु चुनाव जीते। 1977 में वह जनता पार्टी, 1980 में जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट पर जीत मिली। 1985 में यहां से राजेंद्र प्रसाद यादव कांग्रेस के टिकट पर जीते। जनता दल का यह सीट गढ़ रही है।

जिले के बारे में 

समस्तीपुर का क्षेत्रफल 2904 वर्ग किलोमीटर है। जिले का जनसंख्या घनत्व 1465 प्रति वर्ग किमी है। और कुल जनसंख्या 4254782 है। साक्षरता दर 63.81 प्रतिशत है, 8 नगर निगम हैं, 4 तहसील हैं, 20 ब्लॉक हैं, 346 पंचायतें हैं और 1260 गांव हैं।

  • कुल सीटें- 10
  • जेडीयू- 3
  • बीजेपी-2
  • आरजेडी- 4
  • सीपीएम-1 

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