बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, साल 2020 की तुलना में कम सीटों पर लड़ रही है। कांग्रेस को सीट बंटवारे में 10 सीटें मिलीं थी, कुछ सीटों पर फ्रैंडली फाइट भी हो रही है। महागठबंधन के सीट बंटवारे में कांग्रेस को 61, राष्ट्रीय जनता दल को 143 और वाम दलों को 30 सीटें मिली हैं। बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं, अन्य सीटें, मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के खाते में गई हैं। कांग्रेस का प्रदर्शन साल 2020 में बेहद कमजोर रहा था।
2020 में जिन 19 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली, उसका क्रेडिट, उम्मीदवार और महागठबंधन के खाते में गया। वजह यह थी कि कांग्रेस का 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन बेहद खराब था, जिसका असर बिहार विधानसभा चुनाव पर भी नजर आया। कांग्रेस के पास राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे नेता तो रहे लेकिन जमीन पर जिस प्रदर्शन की जरूरत थी, वह हो नहीं पाया। कांग्रेस समर्थक भी इससे नाराज नजर आए।
जिन 19 सीटों को कांग्रेस बचा ले गई, वहां अब कैसे सियासी समीकरण बन रहे हैं, कौन-कौन दल हावी हैं, 2025 के विधानसभा चुनाव में क्या समीकरण बन रहे है, उसे समझने के लिए पहले जानते हैं कि किन 19 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को 2020 में जीत मिली-
2020 में कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत वाली सीटें
- जमालपुर: अजय कुमार सिंह (कांग्रेस)
- बिक्रम: सिद्धार्थ सौरव (कांग्रेस)
- बक्सर: संजय कुमार तिवारी (कांग्रेस)
- चेनारी (एससी): मुरारी प्रसाद गौतम (कांग्रेस)
- करगहर: संतोष कुमार मिश्रा (कांग्रेस)
- राजपुर (एससी): विश्वनाथ राम (कांग्रेस)
- कुटुम्बा (एससी): राजेश कुमार (कांग्रेस)
- औरंगाबाद: आनंद शंकर सिंह (कांग्रेस)
- हिसुआ: नीतू कुमारी (कांग्रेस)
- महाराजगंज: विजय शंकर दुबे (कांग्रेस)
- राजापाकड़ (एससी): प्रतिमा कुमारी (कांग्रेस)
- खगड़िया: छत्रपति यादव (कांग्रेस)
- भागलपुर: अजीत शर्मा (कांग्रेस)
- अररिया: अबिदुर रहमान (कांग्रेस)
- किशनगंज: इजहारुल हुसैन (कांग्रेस)
- कदवा: शकील अहमद ख़ान (कांग्रेस)
- मनिहारी: मनोहर प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
- मुज़फ़्फ़रपुर: बिजेंद्र चौधरी (कांग्रेस)
कांग्रेस की मौजूदा स्ट्रेंथ अब सिर्फ 17 है, हम उन्हीं सीटों को समझ रहे हैं
- जमालपुर: अजय कुमार सिंह यहां से विधायक हैं। उन्हें कांग्रेस ने इस बार टिकट नहीं दिया है। महागठबंधन की सहयोगी पार्टी VIP के खाते में यह सीट गई है। VIP ने यहां से नरेंद्र कुमार को उतारा है। जेडूयी ने नचिकेता मंडल पर भरोसा जताया है। जन सुराज ने यहां से लल्लन जी यादव को टिकट दिया है। यह सीट जेडूयी का गढ़ रही है, पुरानी सीट एक बार फिर हासिल करने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस का चेहरा न होने से महागठबंधन की स्थिति कमजोर हुई है।
- बिक्रम: सिद्धार्थ सौरव यहां के विधायक हैं। अब वह भारतीय जनता पार्टी में चले गए हैं। कांग्रेस ने उनकी जगह अनिल कुमार सिंह को चुनावी मैदान में उतार है। अनिल कुमार 2005 और 2010 के विधानसभा चुनावों में यहां से विधायक रहे हैं। पहले वह लोक जनशक्ति पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में भी रहे हैं। जन सुराज ने यहां से मंटू कुमार को उतारा है।
- बक्सर: संजय कुमार तिवारी यहां से विधायक हैं। अब यहां से एक बार फिर कांग्रेस ने संजय कुमार तिवारी पर भरोसा जताया है। बीजेपी ने यहां से आनंद मिश्रा को उतारा है। जन सुराज ने तथागत हर्ष वर्धन को टिकट दिया है। बीजेपी यहां मजबूत रही है, अब एक बार फिर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।
- चेनारी: यह आरक्षित विधानसभा है। यहां से मुरारी प्रसाद गौतम विधायक हैं। कांग्रेस ने अब इस सीट से मंगल राम को उतारा है। LJP-RV ने यहां से मुरारी प्रसाद गौतम को टिकट दिया है। नेहा कुमारी जन सुराज की ओर से चुनावी मैदान में हैं। यहां महागठबंधन और एनडीए दोनों मजबूत स्थिति में है, कांटे की टक्कर होने की उम्मीद जताई जा रही है।
- करगहर: संतोष कुमार मिश्रा यहां से विधायक हैं। जेडीयू ने यहां से बशिष्ठ सिंह को टिकट दिया है, CPI के महेंद्र प्रसाद गुप्ता यहां रेस में हैं। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस ने यहां से संतोष कुमार मिश्रा को उतारा है। सीपीआई और कांग्रेस दोनों महागठबंधन का हिस्सा हैं। एनडीए बनाम महागठबंधन के दो दल यहां होने से एनडीए के मजबूत होने के आसार हैं।
- राजपुर: यह आरक्षित विधानसभा है। यहां से विश्वनाथ राम विधायक हैं। जेडीयू ने संतोष कुमार निराला को यहां से उतारा है। कांग्रेस ने एक बार फिर विश्वनाथ राम पर भरोसा जताया है। जनसुराज ने धनंजय पासवान को टिकट दिया है। यहां जेडीयू भी मजबूत स्थिति में रही है, इसलिए कांटे की टक्कर के आसार हैं।
- कुटुम्बा: राजेश कुमार यहां से विधायक हैं। यह आरक्षित विधानसभा है। एनडीए के हिंदुस्तान आवाम मोर्चा ने यहां से ललन राम को उतारा है। कांग्रेस ने राजेश राम को टिकट दिया है। जनसुराज ने महाबली पासवान को उतारा है। इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबला होता नजर आ रहा है।
- औरंगाबाद: बिहार की इस विधानसभा सीट से आनंद शंकर सिंह विधायक हैं। बीजेपी ने यहां से त्रिविक्रम सिंह को उतारा है। कांग्रेस ने एक बार फिर आनंद शंकर सिंह को टिकट दिया है। 2005 और 2010 के चुनाव में यहां से बीजेपी के रमाधीर सिंह विधायक रहे। साल 2015 और 20 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में है। बीजेपी वापसी नहीं कर पाई है।
- हिसुआ: यहां से नीतू कुमारी विधायक हैं। कांग्रेस ने एक बार फिर उन्हीं को टिकट दिया है। बीजेपी ने यहां से अनिल सिंह को उतारा है। 2005 से 2015 तक कांग्रेस का गढ़ रही यह पार्टी, महागठबंधन की मजबूत सीट मानी जाती है।
- महाराजगंज: विजय शंकर दुबे यहां से विधायक हैं। 2025 में यह सीट आरजेडी के खाते में चली गई है। आरजेडी ने यहां से विशाल जायसवाल को उतारा है। जेडीयू ने यहां हेम नारायण शाह को उतारा है। सुन सुराज ने सुनील राय पर भरोसा जाता है।
- राजापाकड़: यह आरक्षित विधानसभा है। यहां से कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी विधायक हैं। दिलचस्प बात यह है कि यहां से महागठबंधन की दो पार्टियां टकरा गईं हैं। कांग्रेस ने प्रतिमा कुमारी को उतारा है, वहीं CPI ने मोहित पासवान को उतार दिया है। जेडीयू से महेंद्र राम लड़ रहे हैं, जन सुराज के प्रत्याशी मुकेश कुमार राम हैं। अब यहां महागठबंधन वोटों के विभाजन की वजह से एनडीए ज्यादा मजबूत स्थिति में नजर आ रही है।
- खगड़िया: यहां से छत्रपति यादव विधायक हैं। कांग्रेस ने यहां से चंदन यादव को उतार दिया है। जेडूयी ने बबलू मंडल और जन सुराज ने जयंती पटेल को उतारा है। जेडीयू और महागठबंधन में तगड़े टक्कर की उम्मीद है।
- भागलपुर: कांग्रेस के अजीत शर्मा यहां से विधायक हैं। वह कांग्रेस के सीनियर नेताओं में शुमार हैं। इलाके में उनका दबदबा है। बीजेपी ने उनके खिलाफ रोहित पांडेय को टिकट दिया है। जन सुराज ने अभयकांत झा को उतारा है। यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों की मजबूत स्थिति रही है। 3 बार के चुनाव से अजीत कुमार शर्मा ही जीत रहे हैं।
- अररिया: कांग्रेस के अबिदुर रहमान यहां से विधायक हैं। यह सीट जेडीयू की पारंपरिक सीट रही है। ऐसे में एनडीए ने यहां से शगुफ्ता अजीम को उतारा है। यहां भी महागठबंधन और एनडीए में कांटे की टक्कर है। मुस्लिम वोटर हाल के दिनों में नीतीश कुमार से वक्फ मुद्दे पर नाराज रहे हैं लेकिन शगुफ्ता अजीम दावेदारी से चुनावी मैदान में हैं।
- किशनगंज: कांग्रेस नेता इजहारुल हुसैन यहां से विधायक हैं। अब कांग्रेस ने उनका टिकट काटकर कमरुल हुदा को टिकट दिया है। बीजेपी ने स्वीटी सिंह को उतारा है। यहां 2010 से ही कांग्रेस कायम है, बीजेपी के लिए इस सीट को जीतना यहां बड़ी चुनौती रही है।
- कदवा: शकील अहमद ख़ान यहां से विधायक हैं। यह अल्पसंख्यक बाहुल सीट है। कांग्रेस ने एक पार फिर शकील अहम खान पर भरोसा जताया है। जेडीयू ने यहां से दुलालचंद्र गोश्वामी को टिकट दिया है। जन सुराज ने यहां से मोहम्मद शहरयार को टिकट दिया है। साल 2010 में आखिरी बार बीजेपी के भोला राय चुनाव जीते थे। 2015 के विधानसभा चुनाव में शकील अहमद खान जीते, 2020 में उन्हें जीत मिली, कांग्रेस ने एक बार फिर उन्हीं पर भरोसा जताया है।
- मनिहारी: कांग्रेस नेता मनोहर प्रसाद सिंह यहां से विधायक हैं। यह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है। यहां से कांग्रेस ने एक बार फिर मनोहर प्रसाद पर ही भरोसा जताया है। जेडीयू ने शंभु सुमन को उतारा है। जन सुराज ने बबलू सोरेन को टिकट दिया है। 2005 में यहां से कांग्रेस के मुबारक हुसैन चुनाव जीते थे। 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट आरक्षित विधानसभा बनी। 2010 में जेडीयू के टिकट पर मनोहर प्रसाद सिंह चुने गए। 2015 और 2020 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर वह विजयी हुए। एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं।
- मुजफ्फरपुर: कांग्रेस नेता बिजेंद्र चौधरी यहां से विधायक हैं। बीजेपी ने यहां से रंजन कुमार को चुनावी मैदान में उतारा है। जन सुराज ने अमित कुमार दास को टिकट दिया है। इस सीट को बिजेंद्र चौधरी का किला कहा जाता है। वह यहां से 4 बार के विधायक रह चुके हैं। 2010 और 15 में यहां बीजेपी के सुरेश कुमार शर्मा ने बाजी मारी लेकिन 2020 में बिजेंद्र चौधरी ने अपनी खोई सीट हासिल की। अब वह एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं दमदारी से चुनाव लड़ रहे हैं।
